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हत्या, दहेज उत्पीड़न समेत अतुल पर 9 मामले दर्ज… वकील आभा ने बताई पूरी सच्चाई

हत्या, दहेज उत्पीड़न समेत अतुल पर 9 मामले दर्ज... वकील आभा ने बताई पूरी सच्चाई

अतुल सुभाष ने 24 पेज का सुसाइड नोट लिखा.

बेंगलुरु में इंजीनियर अतुल सुभाष ने आत्महत्या कर ली. खुदकुशी से पहले उसने 24 पन्ने का एक सुसाइड नोट लिखा था. साथ ही एक वीडियो भी शेयर किया. जो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है. वीडियो के सामने आने के बाद से ही लोग पुलिस की कार्यशैली पर सवाल उठा रहे हैं. सुसाइड नोट में बताया कि उसकी पत्नी और पत्नी के घरवालों ने उसके खिलाफ साजिश रची है. इस मामले में अतुल की वकील आभा सिंह ने बताया कि उसके खिलाफ 9 झूठे मामले दर्ज कराए गए थे. अतुल के खिलाफ हत्या, दहेज उत्पीड़न, घरेलू हिंसा और हत्या समेत कई मामले दर्ज थे. उसे आत्महत्या के लिए उकसाया गया है.

वकील आभा सिंह ने बताया कि अतुल अपनी पत्नी को 2 लाख रूपये महीने दे रहा था, इसके बाद भी उसे अपने बच्चे से नहीं मिलने दिया जा रहा था. उसके बेटे का इस्तेमाल अतुल को ब्लैकमेल करने के लिए किया जा रहा था. वकील ने कहा कि इस पूरे मामले में यूपी की जौनपुर पुलिस की भूमिका संदिग्ध है. पुलिस ने ही अतुल के खिलाफ 9 झूठे मामले दर्ज किए हैं. उन पर भी कार्रवाई की जानी चाहिए. पुलिस ने अपने लालच में कानून का दुरुपयोग किया है. सभी पुलिसकर्मियों के खिलाफ मामला दर्ज होना चाहिए.

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वकील ने कहा कि देश में आज कल दहेज प्रताड़ना कानूनों का गलत इस्तेमाल किया जा रहा है. इन कानूनों के जरिए झूठे मुकदमें दर्ज किए जा रहे हैं. समय रहते इन कानूनों के दुरुपयोग पर रोक लगानी चाहिए.

सुभाष पर चल रहा था ससुर की हत्या का केस

वकील आभा सिंह ने बताया कि अतुल की पत्नी ने पहले ही स्वीकार कर लिया था, कि उसके पिता की मौत हार्ट अटैक के कारण हूई है. लेकिन इसके बाद भी अतुल के ऊपर झूठा मामला दर्ज किया गया. उसके खिलाफ अपने ही ससुर की हत्या का मामला चल रहा था, जो कि सरासर झूठ था.

पुरूषों के खिलाफ 95% मामले फर्जी दर्ज- बरखा त्रेहन

अतुल के सुसाइड मामले में पुरुष अधिकार कार्यकर्ता बरखा त्रेहन ने कहा कि अतुल पहला आदमी नहीं है, जिसके खिलाफ झूठे मामले दर्ज किए गए हैं. इस देश में कई ऐसे और अतुल मौजूद हैं जो इसी समस्या से जूझ रहे हैं.

उन्होंने कहा कि आज सिस्टम बहुत पक्षपाती हो गया है. देश में इस समय महिलाओं की ही सुनी जा रही है, सुप्रीम कोर्ट भी कह चुका है कि आईपीसी की धारा 498 के तहत जो मामले दर्ज किए जाते हैं, उनमें से 95% मामले फर्जी होते हैं. उन्होंने कहा कि देश में जो महिला सुरक्षा के लिए कानून बने हैं, उनका इस्तेमाल आज झूठे मामले दर्ज कराने में किया जा रहा है.



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