साधना में भी साथ रहते हैं डॉगी लाली और अंगद, महाकुंभ में पेट लवर्स संन्यासी


महाकुंभ में पेट लवर्स संन्यासी
उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में तट पर जनवरी में लगने जा रहे महाकुंभ के अखाड़ा क्षेत्र में धीरे धीरे रौनक दिखने लगी है. अखाड़ों के शिविरों में संन्यासियों की एंट्री हो चुकी है. देश के कोने-कोने से आए अद्भुत साधु और संन्यासी यहां दिखने लगे हैं. महाकुंभ के अखाड़ा सेक्टर में दाखिल होते ही आवाहन अखाड़े के शिविर में आते ही आपको अलग-अलग तरह के साधु दिखाई देंगे.
इन्हीं में से एक महंत श्रवण गिरी हैं, जो मध्य प्रदेश के नरसिंहपुर से महाकुंभ आए. इनके एक हाथ में भगवान गणेश के नाम की जाप की माला रहती है, तो दूसरे हाथ में डॉगी लाली का पट्टा रहता है. लाली उनके लिए बेजुबान जानवर नहीं बल्कि उनके लिए उनकी साधना का हिस्सा है. महंत श्रवण गिरी बताते हैं कि साल 2019 के कुंभ में प्रयागराज से काशी जाते समय रास्ते में उन्हें लाली मिली थी. लाली तभी से उनके साथ है.
लाली की फैमिली प्लानिंग
महंत श्रवण गिरी की लाली भी पूरी तरह ब्रह्मचारी है. श्रवण गिरी का कहना है कि लाली की फैमिली प्लानिंग करा दी गई है. इतना ही नहीं लाली का हेल्थ कार्ड भी उन्होंने बनवाया है, जिसमें उसे फ्री इलाज मिलता है. महाकुंभ के अखाड़ा सेक्टर में महंत श्रवण गिरी अकेले पेट लवर नहीं हैं. महिला संतो के साथ भी कई पेट रहते हैं. गुड़गांव के खैराबाद आश्रम से महाकुंभ आई महंत पूर्णा गिरी अपने डॉगी अंगद के साथ ही सब जगह नजर आती हैं.
अंगद को सजाना संवारना
खैराबाद में श्री महंत पहाड़ी बाबा की शिष्या पूर्णा गिरी बताती हैं कि अंगद उनके लिए उनका अंगरक्षक जैसा है. वह जब भी गहन साधना में जाती हैं, तो अंगद आश्रम की दहलीज पर बैठकर उनकी साधना पूरा होने का इंतजार करता है. पूर्णा गिरी बताती हैं कि इतना समय उन्हें अपनी साधना के लिए तैयार होने में नहीं लगता, जितना ज्यादा समय वह अंगद को सजाने संवारने में लगाती हैं.