राम मंदिर के ऊपर लग रही ‘लक्ष्मण रेखा’, 100 सालों तक होगी रक्षा… जानें कैसे करेगी काम?


राम मंदिर को लाइटनिंग अरेस्टर से किया जा रहा लैस
उत्तर प्रदेश के अयोध्या में बन रहे राम मंदिर को अब वज्रपात से बचाने के लिए अत्याधुनिक तड़ित चालक (लाइटनिंग अरेस्टर) से लैस किया जा रहा है. यह मंदिर जहां श्रद्धा और आस्था का प्रतीक है, वहीं अब यह आधुनिक विज्ञान और सुरक्षा तकनीक का उदाहरण भी बन रहा है. लाइटनिंग अरेस्टर एक विशेष प्रकार की धातु की छड़ होती है, जिसे किसी ऊंची संरचना के सबसे ऊपर स्थापित किया जाता है. इसका ऊपरी सिरा नुकीला होता है, जबकि निचला सिरा सीधे जमीन से जुड़ा होता है.
जब बिजली गिरती है, तो यह यंत्र आकाशीय ऊर्जा को अपनी ओर आकर्षित करता है और उसे सीधे जमीन में प्रवाहित कर देता है. इससे भवन को कोई नुकसान नहीं होता. राम मंदिर के चारों कोनों पर ऐसे लाइटनिंग अरेस्टर लगाए जा रहे हैं. यह प्रणाली इस तरह से डिजाइन की गई है कि यह कम से कम 100 वर्षों तक प्रभावी ढंग से कार्य करती रहेगी. इस सुरक्षा व्यवस्था को तैयार करने में रक्षा मंत्रालय से भी विशेषज्ञ सलाह ली गई है, ताकि तकनीकी रूप से किसी तरह की चूक न हो.
मानसून से पहले एक्टिव होगी प्रणाली
मंदिर निर्माण समिति ने तय किया है कि मानसून से पहले यह सुरक्षा व्यवस्था पूरी तरह से एक्टिव हो जाए. इसके लिए कार्य तेजी से चल रहा है. मंदिर की भव्यता और ऊंचाई को देखते हुए यह आवश्यक था कि ऐसी प्रणाली लगाई जाए जो वज्रपात की स्थिति में मंदिर और उसमें मौजूद श्रद्धालुओं की पूरी सुरक्षा कर सके. यह पहल दर्शाती है कि राम मंदिर सिर्फ धार्मिक आस्था का केंद्र नहीं, बल्कि भविष्य की जरूरतों और सुरक्षा मानकों को ध्यान में रखकर बनाए जा रहे एक आधुनिक स्थापत्य का उदाहरण भी है.
अंतिम रूप में राम मंदिर का निर्माण
राम मंदिर के निर्माण को अंतिम रूप दिया जा रहा है. साथ ही तड़ित चालक को भी स्थापित किया जा रहा है. इससे मंदिर के साथ ही श्रद्धालुओं की सुरक्षा भी सुनिश्चित की जा सकेगी.