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मेरी वजह से आ रहे युवा…मेले में वापस लौटने के बाद बोली हर्षा रिछारिया, रोते बिलखते छोड़ा था महाकुंभ

मेरी वजह से आ रहे युवा...मेले में वापस लौटने के बाद बोली हर्षा रिछारिया, रोते बिलखते छोड़ा था महाकुंभ

हर्षा रिछारिया.

एक बार महाकुंभ छोड़ने के बाद फिर वापस लौटीं हर्षा रिछारिया ने कहा कि वह युवाओं को सनातन धर्म से जोड़ने के लिए महाकुंभ में आई हैं. उन्होंने कहा कि उनकी वजह से ही महाकुंभ में युवा आ रहे हैं. यदि वह नहीं आती तो युवा भी महाकुंभ नहीं आते. प्रयागराज महाकुंभ में सुर्खियां बटोर रही सोशल मीडिया इनफ्लुएंसर और एंकर हर्षा रिछारिया हाल ही में महाकुंभ छोड़ कर चली गई थीं. हालांकि उन्होंने यू टर्न लिया है और फिर से निरंजनी अखाड़े में देखी जा रही हैं.

बता दें कि महाकुंभ में पहुंची मॉडल, एंकर और सोशल मीडिया इनफ्लुएंसर हर्षा रिछारिया शुरू से ही सनसनी बनी हुई है. पहले अमृत स्नान में वह भगवा वस्त्र धारण कर महामंडलेश्वर के रथ पर सवार होकर विवादों में आई थीं. तस्वीरें वायरल होने के बाद ज्योतिष पीठ के शंकराचार्य अविमुक्तेश्वारानंद समेत कई संतों ने आपत्ति जताई थी. इससे आहत होकर हर्षा रिछारिया रोते बिलखते महाकुंभ से चली गई थीं. लेकिन महज 48 घंटे के अंदर ही वह दोबारा से महाकुंभ पहुंच गईं.

कहा- धर्म को बचाने के लिए आईं महाकुंभ

इसके बाद उन्होंने कहा कि वह हिन्दू धर्म को बचाना चाहती हैं. उनके महाकुंभ छोड़ने पर युवाओं और उनके फैंस के मेल और फोन कॉल आने लगे. इसलिए उन्होंने इस चुनौती को स्वीकार किया है और वह दोबारा से महाकुंभ में आ गई हैं. इसी के साथ उन्होंने अपने आलोचकों को करारा जवाब देने की भी कोशिश की है. उन्होंने कहा कि उनके महाकुंभ छोड़ कर जाते ही युवाओं का धर्म से लगाव कम हो जाता. बता दें कि मकर संक्रांति के अमृत स्नान में जितनी सुर्खियों में नागा संन्यासी नहीं रहे, उससे कहीं अधिक सुर्खियां भगवा वस्त्र पहनकर एक संत के रथ पर सवार हर्षा रिछारिया ने जुटा लिया था.

रथ पर सवार होने का संतों ने किया था विरोध

इसकी तस्वीरें और वीडियो सोशल मीडिया में खूब वायरल हुए थे. इसके बाद ज्योतिष पीठाधीश्वर शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती और शांभवी पीठाधीश्वर आनंद स्वरुप ने जमकर विरोध किया. कहा था कि महाकुंभ में इस तरह की परंपरा शुरू करना गलत है. यह विकृत मानसिकता का नतीजा है. संतों ने कहा था कि महाकुंभ में चेहरे की सुंदरता नहीं बल्कि हृदय की सुंदरता देखा जाना चाहिए.



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