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'भारत नहीं चाहता किसी दूसरे देश का हस्तक्षेप, US अपने हितों की रक्षा के लिए खुद चीन-पाक पर डाले दबाव'


<p style="text-align: justify;">यूएस इंटेलिजेंस ने एनुअल थ्रेट रिपोर्ट-2023 में कहा गया है कि आने वाले दिनों में भारत-चीन के बीच &nbsp;वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर चल रहे सीमा विवाद और भी बढ़ सकता है. ऐसे में अमेरिकी हस्तक्षेप करने की आवश्यकता होगी. चूंकि दोनों ही देश परमाणु शक्ति से संपन्न हैं. भारत और चीन के बीच सीमा विवाद को लेकर भारत की चिंता हमेशा बनी रहती है. चाइना ने जिस तरीके से 2020 में भारतीय सैनिकों की हत्या की और इसमें चीन के भी बहुत सारे सैनिक मारे गए थे. लेकिन चीन ने इस खूनी संघर्ष में अपने सैनिकों के मारे जाने की संख्या को जगजाहिर नहीं किया. दूसरी तरफ पाकिस्तान भी लगातार हस्तक्षेप करने की कोशिश करते रहता है. भारत की जो नीति अब तक रही है वह यही है कि वो किसी के साथ जंग नहीं चाहता है और बातचीत के जरिए ही मसलों का हल निकालना चाहता है और हमारा चीन के साथ भी सीमा विवाद को सुलझाने के लिए लगातार बातचीत चल रही है.&nbsp;</p>
<p style="text-align: justify;">दूसरी तरफ भारत ने अपनी सेना की तैनाती चीन और पाकिस्तान से लगती सीमाओं पर भी कर रखा है. हमारे देश के पहले सीडीएस चीफ जनरल बिपिन रावत ने भी कहा था कि भारत जंग की स्थिति में दोनों ही मोर्चों पर युद्ध करने या उनसे निपटने में सक्षम है. देखा तो यह गया है कि जब-जब चीन और पाकिस्तान के अंदरूनी हालात खराब हुए हैं तब-तब उन्होंने भारत के साथ अपने सीमा विवाद को बढ़ा दिया है. इसी बहाने चीन अपने राष्ट्रवाद को भी आगे बढ़ाता है ताकि लोगों को ध्यान देश के अंदर के मूल मुद्दों से भटकाया जा सके. ये दोनों ही देशों की पॉलिसी रही है. लेकिन अगर ऐसा होता है तो भारत हाथ पर हाथ रखकर नहीं बैठेगा लेकिन भारत हमेशा अमन व शांति चाहता है और मसलों का निराकरण बातचीत के माध्यम से ही करना चाहता है. दूसरी बात यह भी है कि सन् 1962 से चीन ने भारत की जमीन पर कब्जा कर रखा है. पाकिस्तान ने भी जम्मू और कश्मीर के एक बहुत बड़े हिस्से को अपने कब्जे में कर रखा है. जिसे हम पीओके के नाम से जानते हैं और वह भारत का एक अटूट अंग है.</p>
<p style="text-align: justify;">यूएस का मानना है कि ये भारत और चीन दोनों ही परमाणु शक्ति से संपन्न देश हैं. दोनों बहुत ही शक्तिशाली देश हैं और अगर जंग होगी तो बहुत भीषण होगी. दूसरी बात ये कि यूएस का इंटरेस्ट इस एरिया में हैं चाहे वो अफगानिस्तान हो या पाकिस्तान, फिर पूरे इंडियन ओशियन में उनका इंटरेस्ट है. तेल का जो सप्लाई है वो इसी रूट से होता है. पश्चिम से होते हुए स्ट्रेट ऑफ मल्लका और फिर पैसिफिक ओशियन से होकर जाता है तो ये रूट बहुत महत्वपूर्ण है…तो यूएस को लगता है कि अगर यह रूट डिसर्पट होता है तो अमेरिकन इंटरेस्ट को इससे क्षति होगी.</p>
<p style="text-align: justify;">अमेरिका का मानना है कि अगर ऐसा होता है तो फिर तेल की कीमतें बढ़ सकती हैं और इससे ग्लोबल इकोनॉमी को भी बहुत बड़ा झटका लग सकता है. चूंकि वर्तमान समय में वैश्विक अर्थव्यवस्था की हालत पहले से ही खराब स्थिति में चल रही है और देखिये, समय-समय पर अमेरिकी इंटेलिजेंस इस तरह की रिपोर्ट जारी करते रहता है और मुझे नहीं लगता है कि पाकिस्तान और चीन की हिम्मत है इस तरह की जंग करने की क्योंकि पाकिस्तान के अंदर परिस्थिति बहुत खराब है और चीन की भी अर्थव्यवस्था काफी नीचे चली गई है.&nbsp;</p>
<p style="text-align: justify;">उसको एक बड़ा खतरा हमेशा लग रहा है कि जिस तरीके से अमेरिका का सिंगापुर में एंटी चाइना या कह सकते हैं कि जिस तरीके से वहां उनका जोर है और वहां की सरकार भी बार-बार आजादी की बात करती है और जिसको चाइना अपना अटूट अंग मानता है. तो इस तरह की चीजें बहुत ही कॉम्प्लीकेटेड हैं. और इस तरह की उनकी सोच है जिस पर यह रिपोर्ट तैयार की गई है. लेकिन अगर अमेरिका को लगता है कि पाकिस्तान या चाइना कोई बड़ा हस्तक्षेप भारत में करते हैं या कोई बड़ी मिलिटेंट स्ट्राइक करते हैं और इसमें अमेरिका के हित को क्षति पहुंचती है जो इस एरिया में है तो वो स्वयं अपनी रक्षा करें या फिर पाकिस्तान और चीन पर दबाव डालें लेकिन भारत उनसे किसी तरह का कोई हस्तक्षेप नहीं चाहेगा. भारत अपनी सीमाओं की सुरक्षा के लिए तैयार है अगर अमेरिका को अपने हितों के लिए कोई डर है तो वह स्वयं इसका सामना करें.</p>
<p style="text-align: justify;">अगर पाकिस्तान ने कहीं भी भारत के अंदर कोई मिलिट्री ठिकानों पर हमला किया या कोई स्ट्राइक किया तो जिस तरह से भारत ने पहले सर्जिकल स्ट्राइक की थी वह फिर से इसे दोहरा सकता है जहां पर पाकिस्तान के मिलिटेंट्स का ठिकाना है. और अगर ऐसा होता है तो फिर पाकिस्तान उसका जवाब देगा और एक बड़ी जंग की संभावना हो सकती है. देखिये, मैं नहीं समझता कि पाकिस्तान के साथ जहां तक हमारा मसला है तो उनके साथ हमारी एक संधि है शिमला अकॉर्ड और फिर बाद में लाहौर डिक्लेरेशन भी है तो ऐसे में भारत किसी तीसरे देश का हस्तक्षेप स्वीकार नहीं करेगा.</p>
<p style="text-align: justify;">पूर्व में जब-जब इस तरह की बात सामने आई है कई बार अमेरिका ने बातचीत में हस्तक्षेप करने या दबाव डालने की कोशिश की तब-तब भारत ने इसे अस्वीकार कर दिया है और जहां तक चीन और भारत के बीच के सीमा विवाद को सुलझाने के लिए अमेरिकन हस्तक्षेप का मसला है तो मुझे लगता है कि ऐसा होने पर एक बहुत बड़े जंग की स्थिति उत्पन्न हो जाएगी और भारत ऐसा कभी नहीं चाहेगा. भारत पूरे तरीके से सक्षम है इस तरह की स्थिति से निपटने के लिए और भारत कभी नहीं चाहेगा की किसी दूसरे या तीसरे देश का हस्तक्षेप हो यह हमारी अब तक की पॉलिसी रही है. चूंकि भारत एक बहुत बड़ा शक्ति संपन्न देश है और वह चीन और पाकिस्तान दोनों से निपटने के लिए सक्षम है.</p>
<p style="text-align: justify;"><strong>[नोट- उपरोक्त दिए गए विचार लेखक के व्यक्तिगत विचार हैं. ये जरूरी नहीं कि एबीपी न्यूज़ ग्रुप इससे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है. ये आर्टिकल कमर आगा से बातचीत पर आधारित है.]</strong></p>

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