बिहार विधानसभा चुनाव में ताल ठोकेगी ओपी राजभर की पार्टी! अमित शाह से की मुलाकात


ओम प्रकाश राजभर और अरविंद राजभर ने अमित शाह से की मुलाकात.
सुहेल देव भारतीय समाज पार्टी (सुभासपा) के राष्ट्रीय महासचिव अरुण राजभर ने गुरुवार को बताया कि पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष कैबिनेट मंत्री ओम प्रकाश राजभर ने केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह से मुलाकात की. यह मुलाक़ात लगभग एक घंटे तक हुई साथ में सुभासपा के राष्ट्रीय महासचिव पूर्व राज्य मंत्री डॉ. अरविंद राजभर भी मौजूद रहे.
अरुण राजभर ने कहा कि इस दौरान हमारे राष्ट्रीय अध्यक्ष ने सामाजिक न्याय की दिशा में जातीय जनगणना का ऐतिहासिक निर्णय के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमित शाह को अभार व्यक्त किया. साथ ही बिहार के राजनीति को लेकर और यूपी के आगामी विधानसभा चुनाव के लिए सुभासपा एनडीए गठबंधन के साथ मिलकर चुनाव लड़ने पर सीटों को लेकर सार्थक बातचीत हुई.
अमित शाह से मिले ओम प्रकाश राजभर
दरअसल ओम प्रकाश राजभर ने गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात पर जानकारी देते हुए कहा कि तीन मुद्दों पर बात हुई है. राजभर ने यह भी कहा कि उन्होंने यूपी में पंचायत चुनाव को लेकर भी गृह मंत्री से बात की है. उन्होंने कहा कि हमने ब्लॉक प्रमुख और जिला पंचायत अध्यक्ष चुनाव जनता से कराने की मांग रखी है.
जाति जनगणना पर दी बधाई
ओम प्रकाश राजभर ने कहा कि हम जाति जनगणना के फैसले को लेकर गृहमंत्री अमित शाह को बधाई देने के लिए गए थे. हम लंबे समय से चाहते थे कि देश में जाति जनगणना हो और सबको न्याय मिले. जिसको लेकर पीएम मोदी के नेतृत्व में कैबिनेट ने इस पर मुहर लगा दी. उन्होंने कहा कि अब रोहणी आयोग के आरक्षण के संदर्भ में भी आदेश लागू होना चाहिए. सुभासपा प्रमुख राजभर ने दावा किया कि उन्होंने बिहार चुनाव को लेकर भी अमित शाह से बात की. इस पर गृह मंत्री ने कहा है कि वो बिहार के लोगों से बातचीत करके हमें 20-25 दिन में बुलाएंगे फिर चर्चा करेंगे.
पंचायत चुनाव में बड़ा बदलाव
बता दें राज्य में अगले साल 2026 में त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव होने हैं. इसको लेकर सभी राजनीतिक दल अपनी रणनीति तैयार कर रहे हैं. इस बीच ओम प्रकाश राजभर की यह मांग राज्य में पंचायत चुनाव में बड़ा बदलाव कर सकती है. फिलहाल जिला पंचायत अध्यक्षों और प्रमुखों का निर्वाचन पंचायत सदस्य और बीडीसी करते हैं. कई बार ऐसे मामले भी सामने आए हैं कि जब कार्यकाल पूरा करने से पहले वह सत्ता बदलने पर या तो हट जाते हैं या अध्यक्षों और प्रमुखों के अविश्वास प्रस्ताव आ जाता है. ऐसे में राजभर की ये मांग काफी अहम हो जाती है.