प्रयोग के नए दौर में मायावती की बसपा, लोकसभा चुनाव में बड़े चेहरों को लड़ाने की रणनीति | BSP Chief Mayawati in new phase of experiments strategy to contest big faces


बसपा सुप्रीम मायावती
बसपा प्रमुख मायावती ने पहले तो पार्टी की सियासी बागडोर अपने भतीजे आकाश आनंद को सौंप कर बसपा पर भी परिवारवाद का ठप्पा लगा दिया. अब आकाश आनंद और सतीश चंद्र मिश्रा जैसे बड़े नेताओं को चुनाव लड़ने के निर्देश देकर फिर चौंका दिया है. मायावती पार्टी में नए प्रयोग कर रही हैं और इसी प्रयोग को ध्यान में रखकर फैसले भी ले रही हैं.
बसपा इस बार लोकसभा चुनाव में राष्ट्रीय कोऑर्डिनेटर आकाश आनंद और राष्ट्रीय महासचिव सतीश चंद्र मिश्र जैसे बड़े चेहरों को उतार सकती है. पार्टी के भीतर फिलहाल नए प्रयोग को लेकर विचार-विमर्श चल रहा है. पार्टी इन चेहरों के लिए उन सीटों की तलाश में भी जुटी हुई है जहां से इनको मैदान में उतारा जा सके और जीत मिल सके.
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आकाश आनंद के लिए बिजनौर सीट को लेकर मंथन चल रहा है. ऐसा इसलिए क्योंकि बसपा सुप्रीम मायावती 1989 में इसी सीट से जीत हासिल कर पहली बार लोकसभा पहुंची थीं. इस सीट पर दलित के साथ-साथ मुस्लिम वोटरों की संख्या भी काफी ज्यादा है. ऐसे में आकाश के लिए यह सीट मुफीद मानी जा रही है.
अंबेडकर नगर के आसपास भी सीटों की तलाश
इसके अलावा कभी बीएसपी का मजबूत गढ़ रहे अंबेडकर नगर के आसपास भी उपयुक्त सीट की तलाश की जा रही है. वहीं सतीश चंद्र मिश्र के लिए कानपुर की अकबरपुर सीट पर विचार चल रहा है. प्रदेश अध्यक्ष विश्वनाथ पाल के लिए भी अयोध्या और आंबेडकर नगर में उपयुक्त सीट की तलाश है. बसपा प्रमुख अभी बड़े नेताओं को लड़ाने के लिए लोकसभा सीटों के चयन में लगी हैं. वो खुद चुनाव लड़ेंगी या नही अभी ये स्पष्ट नही है. उनके चुनाव लड़ने पर पार्टी ने अभी कोई निर्णय नही लिया है.
इसलिए मायावती नए प्रयोग के लिए मजबूर
बीएसपी ने 2007 में उत्तर प्रदेश में पूर्ण बहुमत की सरकार बनाई थी, लेकिन उसके बाद से प्रदर्शन लगातार गिरता जा रहा है. इस दौरान पार्टी ने कई प्रयोग भी किए लेकिन सफल नहीं हुए. लोकसभा चुनाव की बात करें तो 2014 में पार्टी को एक भी सीट नहीं मिली. उसके बाद उसने 2019 में एसपी के साथ गठबंधन किया और 10 सीटें हासिल करने में कामयाब रही.
अभी तक इंडिया गठबंधन से दूरी
कांग्रेस, समाजवादी पार्टी, जेडीयू, आरजेडी समेत करीब 28 दलों के इकट्ठा होने के बाद भी बीएसपी ने अभी तक गठबंधन से दूरी बनाए रखी है. सांसदों की निष्ठा को लेकर भी लगातार आशंका बनी हुई है. हाल फिलहाल में दानिश अली चर्चा में आए थे जिनको पार्टी पहले ही बाहर का रास्ता दिखा चुकी है.बाकी सांसदों की भी दूसरे दलों से करीबी की खबरें आ रही हैं. ऐसे में बीएसपी एक बार फिर नए प्रयोग पर मंथन कर रही है.
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