पाकिस्तानी मां-बेटी को मिली भारत की नागरिकता… PM मोदी को दिया धन्यवाद, हिंदुस्तान को बताया सबसे अच्छा देश


महक और शबाना की कहानी
पाकिस्तान की एक मां-बेटी को भारत की नागरिकता मिली है. नागरिकता मिलने के बाद बाद बेटी महक ने कहा कि हिंदुस्तान सबसे अच्छा है. आतंकियों को गोली मार देनी चाहिए. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भी उन्होंने धन्यवाद दिया और कहा कि मोदी का बहुत-बहुत धन्यवाद हमें नागरिकता मिली. उन्हें उनका वीजा खत्म होने पर पाकिस्तान जाना पड़ा था, जिससे उनकी पढ़ाई छूट गई थी.
महक के पिता ने कहा पाकिस्तान से जंग जरूरी नहीं आतंकियों को खत्म करना चाहिए. मेरी ससुराल जरूर पाकिस्तान में है, लेकिन मैं पाकिस्तान नहीं जाता हूं. मुझे पाकिस्तान पसंद नहीं है. उनके परिवार ने आतंकवादी घटना पर दुख जाहिर किया. उनके परिवार का कहना सरकार ने जो सख्त आदेश दिए हैं कि हिंदुस्तान में रह रहे पाकिस्तानियों को हिंदुस्तान छोड़ना पड़ेगा.
महक के परिवार ने क्या कहा?
उन्होंने कहा कि आदेशों में बदलाव जरूरी हैं. क्योंकि जिन लोगों की पाकिस्तान में रिश्तेदारी है. वह लोग अपनों से मिलने के लिए बहुत परेशान हैं. अब वह लोग शादी में भी हिंदुस्तान नहीं आ सकेंगे और हिंदुस्तान से पाकिस्तान नहीं जा सकेंगे. ऐसे बहुत दिक्कत का सामना करना पड़ रहा है. आतंकवादी हमले में ऐसे लोगों का कोई दोष नहीं है, जिन्होंने गुनाह किया है. उन्हें सजा मिले. वीजा बंद होने से बहुत दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है.
एक समय था जब पाकिस्तान में जन्मी महक और उनकी मां शबाना को भारत छोड़ने के लिए मजबूर कर दिया गया था. दोनों मां-बेटी फूट-फूटकर रोई थीं, लेकिन अब उन्हें भारत की नागरिकता मिल गई है और वह खुद को गर्व से हिंदुस्तानी कहती हैं. महक कहती हैं, “हिंदुस्तान से बढ़कर कोई देश नहीं है, पाकिस्तान अच्छा देश नहीं है,
महक और शबाना की कहानी
दअरसल, शबाना की शादी 24 अगस्त 1986 को बरेली के रहने वाले यूसुफ अली खान से हुई थी. शादी कराची में हुई थी, जब भारत-पाकिस्तान के संबंध थोड़े सामान्य थे. शादी के बाद जब शबाना कराची अपने मायके गईं, तो वहां महक का जन्म हुआ. पाकिस्तान में जन्म लेने की वजह से महक को वहीं की नागरिकता मिल गई. कुछ महीने बाद जब वह बरेली लौट आईं, तो उन्हें भारत में रहने के लिए लंबी कानूनी प्रक्रिया से गुजरना पड़ा.
देश निकाला और फिर से वापसी
2001 में जब उनका वीजा खत्म हुआ, तो पुलिस ने मां-बेटी को हिरासत में लेकर पाकिस्तान भेज दिया. महक उस समय हाईस्कूल की छात्रा थीं. उन्हें अपने पिता से मिलने का भी समय नहीं मिला. सिर्फ एक जोड़ी कपड़े लेकर उन्हें वाघा बॉर्डर से पाकिस्तान भेजा गया. वहां कोई संपर्क नहीं था, लेकिन सौभाग्य से एक मामा ने टीवी पर उन्हें पहचान लिया और घर ले गए. इसके बाद उनकी पढ़ाई भी छूट गई.
2017 में मिला हक़
कई सालों की भागदौड़ के बाद 2017 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार के प्रयासों से शबाना और महक को भारतीय नागरिकता मिल गई. यूसुफ अली खान बताते हैं कि उन्हें 31 साल तक अधिकारियों के चक्कर काटने पड़े. उन्होंने इसके लिए मोदी सरकार और पूर्व केंद्रीय मंत्री संतोष गंगवार का आभार जताया.
हाल ही में जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले पर महक और शबाना ने गहरा दुख जताया. शबाना ने कहा, “जिस तरह हमारे भाइयों की हत्या हुई, वह बेहद दर्दनाक है. ऐसे आतंकियों को प्रधानमंत्री मोदी घर-घर से निकालकर गोली मार दें.” महक ने कहा, “ये आतंकवादी इंसान नहीं हैं, इन्हें एक-एक करके खत्म कर देना चाहिए.”
बंटवारे से टूटा परिवार
यूसुफ ने बताया कि 1947 के बंटवारे में उनका परिवार बिखर गया था. उनके मामा, मौसी और चाचा पाकिस्तान चले गए थे. शबाना, उनकी मौसी की बेटी हैं. परिवार को जोड़ने के लिए ही यूसुफ की शादी शबाना से कर दी गई. अब उनके चार बच्चे हैं, जिनमें से सिर्फ महक का जन्म पाकिस्तान में हुआ था. अब महक की शादी हो चुकी है और उनके तीन बच्चे हैं, जिनमें 15 वर्षीय सुहाना, 12 वर्षीय फिरजा और 5 वर्षीय बानिया है. महक ने कहा, “मुझे पाकिस्तान कभी अच्छा नहीं लगा. मुझे हिंदुस्तान से मोहब्बत है. यहीं मेरी परवरिश हुई, यहीं मेरा घर है.”
नागरिकता मिलने के बाद सुकून
अब यह परिवार बरेली के किला थाना क्षेत्र के मलूकपुर में सुकून की जिंदगी बिता रहा है. यूसुफ ने पीएम मोदी को धन्यवाद देते हुए कहा, “भारत हमारा देश है, यहां सब मिलजुलकर रहते हैं. हमें किसी बात की कोई परेशानी नहीं है. मोदी सरकार ने जो किया, उसके लिए दिल से शुक्रिया.”