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पश्चिमी यूपी में मायावती ने खेला अलग राज्य का कार्ड, जानिए इसके मायने | Mayawati played separate state card in Western UP Lok sabha Election 2024 know its meaning

बहुजन समाज पार्टी प्रमुख मायावती ने रविवार को सहारनपुर से चुनावी सभा की शुरुआत करते हुए पश्चिमी यूपी को अलग राज्य बनाने का वादा किया. बहुजन समाज पार्टी अकेले लोकसभा चुनाव लड़ रही है और यूपी में चुनाव जीतने के लिए पूरी ताकत लगा दी है. बीएसपी प्रमुख मायावती ने अपनी पहली चुनावी सभा में उत्तर प्रदेश के विभाजन का कार्ड खेला है. बसपा सुप्रीमो मायावती ने कहा कि लोकसभा चुनाव के बाद सरकार बनने पर पश्चिमी उत्तर प्रदेश को अलग राज्य बनाया जाएगा.

मायावती केवल पश्चिम उत्तर प्रदेश को अलग राज्य बनाने तक ही नहीं रूकीं. उन्होंने घोषणा की कि केवल पश्चिम उत्तर प्रदेश अलग राज्य ही नहीं बनेंगे, बल्कि यहां हाईकोर्ट बैंच भी बनाया जाएगा.

बता दें कि यूपी को लगातार चार राज्यों में विभाजित करने की मांग की जाती रही है. इलाहाबाद में हाईकोर्ट और लखनऊ में बेंच हैं. ऐसे में काफी दिनों से मेरठ या पश्चिमी यूपी में किसी जिले में हाईकोर्ट बनाने की मांग भी की जा रही है. मायावती फिर से लोकसभा चुनाव के पहले फिर से इन दो मुद्दों को उछाल दिया है.

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मायावती ने सत्तारूढ़ भाजपा पर भी अपनी सभा से जमकर हमला बोला. मायावती ने कहा कि बीजेपी सत्ता में वापसी आसान नहीं होगी, क्योंकि उनकी कथनी और करनी में अंतर है.

पश्चिमी यूपी में मायावती की सोशल इंजीनियरिंग

बता दें कि मायावती पश्चिम यूपी पर फोकस कर रही हैं. मायावती ने लोकसभा चुनाव के टिकट के बंटवारे में सोशल इंजीनियरिंग को ध्यान में रखा है. बिजनौर में जाट, कैराना में राजपूत, मुजफ्फरनगर में प्रजापति, सहारनपुर में मुस्लिम को टिकट दिया गया है. टिकट वितरण में मायावती ने सर्व समाज को प्रतिनिधित्व का संदेश दिया है. मीरापुर के पूर्व विधायक मौलाना जमील को उत्तराखंड के हरिद्वार से उम्मीदवार बनाया गया है.

मुस्लिम, जाट और दलित का पश्चिम यूपी पर प्रभाव

बता दें कि उत्तर प्रदेश से लोकसभा की 80 सीटें हैं. यह देश में किसी भी राज्य में सर्वाधिक हैं. यूपी की राजनीति मूलतः राज्य हिस्सों में बंटी हुई हैं. पश्चिमी यूपी, पूर्वांचल, बुंदेलखंड और अवध. राज्य के सभी क्षेत्रों के अपने मुद्दे और अपने समीकरण हैं और हर क्षेत्र हिस्सों में अपनी तरह की राजनीति और सियासत होती है.

पश्चिमी यूपी की सियासत मुस्लिम, जाट और दलित समाज के जाटव समुदाय के आसपास घूमती है. पश्चिमी यूपी की खासियत ये है कि यहां पर इन जातियों का बहुत ही बोलबाला है. राज्य के लिहाज से सबसे ज्यादा जाति को लेकर सियासत इसी क्षेत्र में होती है. पूरे यूपी में 20 फीसदी के करीब मुस्लिम मतदाता हैं.

बसपा अकेले लड़ रही है चुनाव

वहीं, पश्चिमी यूपी में मुस्लिम मतदाताओं की संख्या 32 फीसदी है. इसी तरह पूरे यूपी में जाट समाज 4 प्रतिशत के करीब है, वहीं पश्चिम यूपी में यह करीब 17 फीसदी है. इसी तरह से पूरे राज्य में दलित वर्ग 21 फीसदी है, लेकिन पश्चिम यूपी में 26 प्रतिशत पर है. इस इलाके में करीब 80 फीसदी जाटव समुदाय के लोग हैं. ऐसे में बीजेपी आरएलडी के साथ मिलकर चुनाव लड़ रही है और कांग्रेस और समाजवादी एक साथ चुनाव लड़ रहे हैं.

बसपा अकेले चुनाव लड़ रही है. ऐसे में बसपा की पूरी कोशिश होगी कि वह फिर अपने पुराने प्रदर्शन को दुहराए जो साल 2019 के चुनाव के दौरान उसने हासिल किए थे. इसलिए बसपा सुप्रीमो ने अपनी पहली चुनावी सभा में ही यूपी विभाजन का कार्ड खेल दिया है, क्योंकि पश्चिम यूपी की पांच सीटों पर पहले चरण में चुनाव है और ऐसा माना जाता है कि पश्चिम यूपी जिसकी होती है. उसकी यूपी होती है.

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