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तनख्वाह सरकारी ले रहे, इलाज प्राइवेट में कर रहे; UP के 14 डॉक्टर हो गए सस्पेंड

उत्तर प्रदेश में ड्यूटी के दौरान लापरवाही करने वाले डॉक्टर के खिलाफ कार्रवाई हुई है. जानकारी के मुताबिक, ड्यूटी के समय नशा करने, राष्ट्रीय कार्यक्रमों में दिलचस्पी न दिखाने समेत अन्य आरोपों में सीएचसी रतनपुरा के अधीक्षक डॉ. भैरव कुमार पाण्डेय को सस्पेंड कर दिया गया है. इसके अलावा अन्य 14 डॉक्टरों के खिलाफ भी एक्शन हुआ है. डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक के निर्देश के बाद ये कार्रवाई की गई है.

डॉ. भैरव पांडेय ने ड्यूटी के दौरान नशा करने, राष्ट्रीय कार्यक्रमों में दिलचस्पी न लेने, अधीनस्थ कर्मचारियों व अन्य लोगों से अभद्रता तथा उच्च स्तरीय बैठकों में हिस्सा न लेने के मामले को गंभीरता से लिया गया है. जांच के बाद डॉ. भैरव को निलंबित कर दिया गया है. उन्हें आजमगढ़ के अपर निदेशक मंडल कार्यालय से जोड़ा गया था. डिप्टी सीएम के निर्देश पर प्रमुख सचिव ने सस्पेंड करने का आदेश जारी किया गया है.

शिकायत मिलने पर डॉ. भैरव को मऊ सीएमओ ने 8 अप्रैल को सीएचसी रतनपुरा से हटाकर सीएचसी मझवारा में तैनात करने का आदेश जारी किया था. लेकिन डॉ. भैरव के द्वारा अभी तक सीएचसी मझवारा का कार्यभार नहीं संभाला गया है. वो लगातार गैरहाजिर चल रहे हैं. वहीं आदेश ने मानने और बिना बताए गैरहाजिर होने पर उनके खिलाफ विभागीय कार्यवाही के भी आदेश दिए गए हैं.

इन पर भी गिरी गाज

वहीं एक और डॉक्टर के खिलाफ एक्शन हुआ है. भदोही के ही ज्ञानपुर स्थित महाराजा चेत सिंह जिला चिकित्सालय में तैनात फिजीशियन डॉ. प्रदीप कुमार यादव के खिलाफ कार्रवाई की गई है. डॉ. प्रदीप कुमार यादव के खिलाफ प्राइवेट प्रैक्टिस की शिकायत मिली थी. शिकायत के बाद मामले में जांच कराई गई तो प्राइवेट प्रैक्टिस के आरोपों सही साबित हुए. डॉ. प्रदीप की दो वेतनवृद्धियां स्थायी रूप से रोक दी गई है. परिनिंदा का दण्ड भी दिया गया है.

वित्तीय अनियमित्ताओं के लगे थे आरोप

वहीं, स्वास्थ्य महानिदेशालय में संयुक्त निदेशक डॉ. सुनील वर्मा पर वित्तीय अनियमित्ता के गंभीर आरोप लगे हैं. यह आरोप औरेया में चिकित्साधिकारी रहते हुए लगे हैं. इस संबंध में निदेशक (प्रशासन) को जांच के आदेश दिए गए हैं. साथ ही आरोप पत्र देकर विभागीय कार्यवाही किये जाने के निर्देश प्रमुख सचिव को दिये गए हैं. इसके अलावा पांच अन्य चिकित्साधिकारियों के खिलाफ भी डिप्टी सीएम ने प्रमुख सचिव को विभागीय कार्रवाई के आदेश दिए हैं. इन डॉक्टरों पर रोगियों की चिकित्सा में लापरवाही, अनाधिकृत रूप से अनुपस्थिति, अनुशासनहीनता शामिल है.



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