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डिप्टी डायरेक्टर ने दांतों से काट दी थी रिटायर्ड इंजीनियर की नाक, अब कोर्ट से नहीं मिली बेल, कौन हैं क्षितिज मिश्रा?

डिप्टी डायरेक्टर ने दांतों से काट दी थी रिटायर्ड इंजीनियर की नाक, अब कोर्ट से नहीं मिली बेल, कौन हैं क्षितिज मिश्रा?

रिटायर्ड इंजीनियर की काट दी थी नाक

उत्तर प्रदेश के कानपुर के बिठूर थाना क्षेत्र में एक फ्लैट मालिक और सोसाइटी सचिव के बीच पार्किंग को लेकर विवाद हो गया था, जिसमें फ्लैट मालिक ने सचिव की अपने दांतों से नाक चबा डाली थी. इससे सचिव बुरी तरह से घायल हो गए थे और उनकी नाक से बहुत खून बहा था. उन्हें आनन-फानन में अस्पताल पहुंचाया गया था. इसके बाद आरोपी को गिरफ्तार कर लिया गया था, जिसने इस मामले में कोर्ट में अर्जी दाखिल की थी. लेकिन अब कोर्ट ने याचिका खारिज कर दी है.

बिठूर के नारामऊ में स्थित अपार्टमेंट रतन प्लैनेट में रहने वाले रिटायर्ड टेक्सटाइल इंजीनियर रूपेश सिंह यादव गंभीर रूप से घायल हुए थे. उनके बेटे ने जानकारी देते हुए बताया कि वह रतन प्लैनेट के A ब्लॉक के फ्लैट नंबर 202 में रहते हैं. इसी सोसाइटी के D ब्लॉक के फ्लैट नंबर 1505 में क्षितिज मिश्रा रहते हैं, जो एक्सपोर्ट इंस्पेक्शन एजेंसी में डिप्टी डायरेक्टर पद पर तैनात हैं.

नाक दांतों से काट डाली थी

ये घटना 25 मई की है, जब क्षितिज की अलॉट पार्किंग में किसी और ने अपनी गाड़ी खड़ी कर दी थी. इससे वह नाराज हो गया और गाली गलौज शुरू कर दी और सोसाइटी सचिव रूपेश को फोन कर गाड़ी हटाने के लिए कहा. इस पर रुपेश सिंह ने गार्ड को बोलकर वहां से गाड़ी हटाने की बात कही. लेकिन आरोपी क्षितिज ने गुस्से में रूपेश को मौके पर बुलाया. जब रुपेश नीचे गए तो क्षितिज ने रूपेश पर हमला कर दिया और उनकी नाक दांतों से काट डाली, जिसका सीसीटीवी फुटेज भी पुलिस को मिला था.

जमानत याचिका खारिज कर दी गई

पुलिस ने इस मामले में जांच पड़ताल के बाद आरोपी क्षितिज को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया था और मुकदमा भी दर्ज किया था. ADJ कोर्ट में आरोपी के डिप्टी डायरेक्टर के वकील ने जमानत याचिका दाखिल की थी. तब भी अभियोजन पक्ष ने इसका जमकर विरोध किया था. कोर्ट में कहा गया कि घटना में नाक के आगे का मांस दांतों से चबाया गया है. ये घटना काफी दुर्भाग्यपूर्ण है.

आगे कहा गया कि इसमें आरोपी में समझ की कमी और गुस्से पर काबू न रख पाने वाले हिंसक कृत्य शामिल हैं. नाक के ऊपरी हिस्से पर चोट लगने से पीड़ित को जिंदगी भर जान का खतरा रहेगा. क्योंकि उसे सांस लेने में परेशानी हो सकती है. ये कहते हुए कोर्ट ने आरोपी की जमानत याचिका खारिज कर दी.



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