छह दशक में यह पहला मौका, जब चौधरी चरण सिंह के परिवार से कोई चुनाव मैदान में नहीं | Rashtriya Lok Dal UP Jayant Chaudhary Ajit Singh Chaudhary Charan Singh Lok sabha Elections 2024


राष्ट्रीय लोक दल ने 2024 के चुनाव के लिए दो सीटों पर उम्मीदवार घोषित कर दिया है
आगामी लोकसभा चुनाव में राष्ट्रीय लोक दल (RLD) दो सीटों पर चुनाव लड़ेगी. इन दो सीटों में एक बागपत की सीट और दूसरी बिजनौर की होगी. पार्टी ने बागपत से राजकुमार सांगवान और बिजनौर से चंदन चौहान को उम्मीदवार घोषित किया है. उम्मीदवारों के ऐलान के बाद अब यह भी साफ हो गया है कि इस बार के लोकसभा चुनाव में चौधरी चरण सिंह के परिवार से कोई भी मैदान में नहीं होगा.
देश की राजनीति में 1971 के बाद से ऐसा कभी नहीं हुआ जब चौधरी चरण सिंह या फिर उनके परिवार से कोई चुनाव न लड़ा हो, लेकिन इस बार ऐसा होने जा रहा है. इसके पीछे बीजेपी और आरएलडी के बीच हुई सीटों की डील है. एनडीए में शामिल हो चुकी आरएलडी को यूपी में दो सीटें ही मिली है. ऐसे में कयास लगाए जा रहे थे कि इनमें से एक पर जयंत चौधरी मैदान में उतरेंगे, लेकिन आज सीट का ऐलान होते ही इन कयासों पर भी विराम लग गया.
उत्तर प्रदेश में छपरौली से कई बार विधायक बनने के बाद 1971 के बाद से चौधरी चरण सिंह जब तक जीवित रहे तब तक लोकसभा चुनाव लड़ते रहे. पश्चिम उत्तर प्रदेश की बागपत लोकसभा सीट को चौधरी चरण सिंह का गढ़ माना जाता था. चौधरी चरण सिंह इस सीट से 1977, 1980 और 1984 में चुनाव जीता था. तमाम राजनीतिक उठापटक के बाद भी चौधरी चरण सिंह चुनाव लड़ते रहे.
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1977 के पहले विधायकी का चुनाव लड़ते थे चौधरी चरण सिंह
चौधरी चरण सिंह 1977 के पहले विधायक का चुनाव लड़ते रहे और जीत हासिल करते रहे. चौधरी चरण सिंह पहली बार 1937 में यूपी की छपरौली विधानसभा सीट से विधायक चुने गए थे. इसके बाद 1946, 1952, 1962 और 1967 में विधायक चुने गए थे. लगातार 40 सालों तक कांग्रेस के साथ रहने वाले चौधरी चरण सिंह ने 1967 में पार्टी से इस्तीफा दे दिया और करीब एक साल बाद भारतीय क्रांति दल का गठन किया, आगे चलकर यह राष्ट्रीय लोक दल बन गया.
अजीत सिंह भी लगातार चुनाव लड़ते रहे
चौधरी चरण सिंह के बाद उनके बेटे अजीत सिंह भी लगातार लोकसभा चुनाव लड़ते रहे. अजीत सिंह अपने पारिवारिक सीट बागपत से जीत हासिल करते रहे. वो बागपत सीट से 1989, 1991, 1996, 1997, 1999, 2004, 2009 में सांसद बने थे. 2009 से चौधरी अजीत और जयंत चौधरी दोनों लोकसभा चुनाव लड़ते रहे. 2019 में अजीत सिंह मुजफ्फरनगर सीट से मैदान में उतरे थे, हालांकि, उनको हार का सामना करना पड़ा. वहीं, जयंत चौधरी अपनी पारिवारिक सीट बागपत से मैदान में थे, लेकिन पिता के साथ-साथ बेटे को भी हार नसीब हुई.
अब जयंत चौधरी ने खुद को चुनाव से किया दूर
इसके बाद अब 2024 का चुनाव सामने है. ऐसे में कयास लगाया जा रहा था कि जयंत चौधरी बागपत सीट से मैदान में उतरेंगे, लेकिन आज उम्मीदवारों के ऐलान के साथ ही स्थिति स्पष्ट हो गई. जयंत चौधरी खुद चुनाव मैदान में क्यों नहीं उतर रहे हैं इसका जवाब अभी तक सामने नहीं आया है. जयंत चौधरी के चुनाव नहीं लड़ने को लेकर विरोधी भी आरएलडी पर हमलावर हो गए हैं. विरोधी पूछ रहे हैं कि आखिर बागपत की सीट का क्या होगा जिसे आरएलडी का गढ़ माना जाता है.