चांदी से जड़े रथ, हाथ में डमरू-त्रिशूल… ऐसे निकला प्रयागराज में किन्नर अखाड़े का जुलूस


महाकुंभ में किन्नर अखाड़ा की भव्य यात्रा
प्रयागराज में किन्नर अखाड़े ने महाकुंभ 2024 के तहत अपनी भव्य देवत्व यात्रा निकालते हुए कुंभ क्षेत्र स्थित अपने शिविर में प्रवेश किया. इस यात्रा को देखने के लिए भारी संख्या में लोग सड़कों पर उमड़ पड़े. भगवान शिव को अपना आराध्य मानने वाले किन्नर अखाड़े की इस यात्रा में भक्ति, आस्था और उत्साह का अद्भुत संगम नजर आया. किन्नर अखाड़ा की देवत्व यात्रा में कुल 51 रथ शामिल थे.
सबसे आगे उनकी इष्ट देवी बऊचरा माता का रथ था, उसके बाद अखाड़े का ध्वज और फिर आचार्य महामंडलेश्वर डॉ. लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी का भव्य रथ चल रहा था. अन्य पदाधिकारी भी अलग-अलग रथों पर सवार थे. इन रथों को फूलों और चांदी से सजाया गया था, जिन पर किन्नर अखाड़े के पीठाधीश विराजमान थे.
डमरू की ध्वनि और भक्तिमय माहौल
यात्रा के दौरान हाथों में तलवार, गदा और त्रिशूल लिए किन्नरों की भक्ति और मस्ती का अनोखा दृश्य देखने को मिला. किन्नर महा मंडलेश्वर पवित्रा नंद गिरी विंटेज कार में सवार थीं, जो आकर्षण का केंद्र बनीं रहीं. लोग उनके साथ सेल्फी लेते नजर आए. डमरू की ध्वनि और नृत्य ने यात्रा को और खास बना दिया. किन्नर अखाड़े के 1700 से अधिक सदस्य इस यात्रा में शामिल हुए. डमरू के थाप पर थिरकते किन्नरों ने भक्तिमय माहौल को और अधिक जीवंत बना दिया. महा मंडलेश्वर कौशल्या नंद गिरी ने बताया कि किन्नर अखाड़े के 251 से अधिक पदाधिकारी इस यात्रा में शामिल हुए.
संगम क्षेत्र में हुआ समापन
किन्नर अखाड़े की देवत्व यात्रा मौज गिरी आश्रम से शुरू होकर जूना अखाड़े की अनुगामी बनकर संगम क्षेत्र के सेक्टर-16 में स्थित उनके शिविर में समाप्त हुई. यह शिविर संगम लोअर मार्ग पर स्थित है. आचार्य महामंडलेश्वर डॉ. लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी ने कहा कि यह यात्रा केवल किन्नर अखाड़े के सदस्यों के लिए ही नहीं, बल्कि समाज में किन्नरों के सम्मान और उनके आध्यात्मिक महत्व को रेखांकित करने का भी प्रयास है. महाकुंभ 2024 में किन्नर अखाड़ा की यह देवत्व यात्रा न केवल आस्था का प्रतीक बनी, बल्कि सामाजिक समरसता का संदेश भी दिया. भक्तिमय और भव्य इस यात्रा ने प्रयागराज की सड़कों पर अपनी अमिट छाप छोड़ी.