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गाजीपुर में गजब हाल! बाढ़ से राहत नहीं, खाने तक के पड़े लाले… बंटने से पहले ही सड़ गई ‘राहत सामग्री’ – Hindi News | Ghazipur Relief material rotted before distribution stwam

गाजीपुर में गजब हाल! बाढ़ से राहत नहीं, खाने तक के पड़े लाले... बंटने से पहले ही सड़ गई 'राहत सामग्री'

बाढ़ प्रभावित इलाकों के लिए राहत सामग्री

उत्तर प्रदेश के गाजीपुर के कई जिले बाढ़ से सदर ,जमानिया, सैदपुर और मोहम्मदाबाद तहसील प्रभावित होने की संभवना हैं. ऐसे में संभावित बाढ़ के मद्देनजर जिला प्रशासन की तैयारी पूरा करने का दावा किया जा रहा है. बाढ़ आ जाने की स्थिति में प्रभावित लोगों तक राहत सामग्री देने को लेकर भी तैयारी कर ली गई हैं. इसके मद्देनजर खाद्य सामग्रियों का पैकेट भी बना कर तैयार कर लिया गया है. इसमें लाई ,चना, चावल, आटा, आलू, दाल ,नमक ,तेल ,मोमबत्ती, सलाई ,नमक ,हल्दी ,मिर्च ,धनिया, भुना चना ,गुड़ ,बिस्किट ,नहाने का साबुन और शुद्ध पेयजल का गैलन भी शामिल है.

वहीं इन सभी सामानों का पैकेट बना कर तैयार कर दिया गया है. इसे देने के लिए प्रशासन के की तरफ से आलू की भी खरीदारी कर ली गई है, लेकिन अभी बाढ़ की स्थिति नहीं बनने के कारण खरीदे गए आलू सड़ने लगे हैं या फिर अंकुरित होने लगे हैं, जो आने वाले में किसी भी काम में इस्तेमाल नहीं हो पाएंगे. संभावित बाढ़ को लेकर मोहम्मदाबाद तहसील प्रशासन के द्वारा भी बाढ़ से दो-दो हाथ करने और पीड़ितों को राहत पहुंचाने का भी मुकम्मल तैयारी कर ली गई है. इसमें प्रशासन की तरफ से प्रभावित लोगों के लिए 10 बाढ़ शरणालय, तीन बाढ़ केंद्र, 78 बाढ़ चौकिया, 94 नाव, 3 गोताखोर और 68 आपदा मित्र नियुक्त किया जा चुके हैं.

250 परिवारों के लिए राहत सामग्री

बाढ़ से प्रभावित 250 परिवारों को राहत सामग्री वितरित करने के लिए तहसील के गोदाम में खाद्यान्न का स्टॉक भी कर लिया गया है, जिसमें खाद्य सामग्रियों के साथ ही साथ आलू का भी स्टाक है, लेकिन जिले में करीब पांच बार गंगा बढ़ चुकी हैं और उसके बाद घटना का क्रम भी जारी है, जिससे अभी बाढ़ की स्थिति नहीं बन रही है ऐसे में प्रशासन के द्वारा तैयार किए गए राहत सामग्रियों में आलू जो कच्चे सामानों में शामिल होता है. यदि इसे ठंडी जगह पर ना रखें तो यह सड़ने लगता है या फिर अंकुरित होने लगता है. कुछ यही हाल राहत सामग्री में शामिल आलू का है, जो तहसील के गोदाम में रखने के बाद अंकुरित होने लगा है. आलू के अंकुरित होने यह भी सड़ने की वजह से इसकी बदबू भी फैल रही है, जिसको लेकर आसपास के लोग प्रभावित हो रहे हैं.

सड़ रहे स्टॉक में रखे गए आलू

इस संबंध में तहसीलदार राम जी ने बताया कि तहसील प्रशासन के द्वारा बाढ़ की स्थिति से निपटने के लिए 250 खाद्य सामग्रियों के पैकेट के साथ ही आलू व अन्य सामग्रियों का स्टॉक कर लिया गया है. इससे बाढ़ की स्थिति बनते ही प्रभावित लोगों में इसका वितरण किया जा सके. वहीं जब आलू के संबंध में जानकारी लेनी चाहिए तो उन्होंने स्वीकार किया कि हां कुछ आलू सड़ने या फिर अंकुरित हो रहे हैं. जिसके कारण बदबू भी फैल रही है. ऐसे में कर्मचारियों को लगाकर ऐसे आलुओं को किनारे किया जा रहा है, ताकि अन्य आलू को नुकसान न पहुंचे.

गाजीपुर जिले में गंगा करीब चार बार चेतावनी बिंदु को पार कर चुकी हैं और मौजूदा समय में दो-तीन दिन पहले भी गंगा बहुत ही तेजी से बढ़ रही थीं, लेकिन अब इसका जलस्तर घट रहा है. केंद्रीय जल आयोग के स्थल प्रभारी मेराजुद्दीन के आंकड़ों की बात माने तो सोमवार को सुबह 8:00 बजे तक गंगा 2 सेंटीमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से घटते हुए 61.550 मीटर तक पहुंच गई है. गंगा अभी भी चेतावनी बिंदु के ऊपर बह रही है, जबकि खतरे के निशान से काफी नीचे गंगा बह रही है.

मौजूदा समय में गंगा के घटने से, जहां गंगा के आस-पास के गांववालों ने काफी राहत महसूस किया है तो वहीं जिले के कई गांव में गंगा का कटान शुरू हो गया है, जिसके चलते किसानों की कृषि योग्य भूमि गंगा में कट कर समाहित हो रही है. इसको देखकर किसान परेशान हैं और भगवान से गुहार लगा रहे हैं कि किसी तरह से उनकी कृषि योग्य भूमि गंगा में समाहित होने से बच जाए.

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