इच्छा थी आसमान में उड़ने की, नहीं थे पैसे तो घर पर ही बना डाले जहाज; अंदर हैं ये सुविधाएं | Amethi Home made Airplane Desire to fly in sky fulfilled from cement sand


घर में बना डाला हवाई जहाज
बचपन से ही चाहत थी आसमान में उड़ने की, शादी हुई तो भी वह चाहते थे कि एक बार हवाई यात्रा जरूर करें, लेकिन घर में गरीबी की वजह से वह कभी ऐसा नहीं कर पाए. आखिर में थक हार कर एक नया रास्ता खोजा और घर में ही जहाज बना डाला. परंतु दुर्भाय ऐसा कि इस जहाज के तैयार होते ही उनका देहांत हो गया और यह सपना अधूरा रह गया. वह भले ही अपने जीवन में इस जहाज पर नहीं चढ़ पाए, लेकिन आज उनके बच्चे इसका खूब मजा ले रहे हैं. बात हो रही है अमेठी में माधोपुर के रहने वाले रमेशर कोरी की.
रमेशर कोरी के परिजनों ने बताया कि जब वह काफी कोशिशें के बावजूद हवाई यात्रा नहीं कर पाए तो उन्होंने तय किया कि घर में हवाई जहाज बनाएंगे. इसमें वह सारी सुविधाएं भी रखेंगे, जो जहाज में होती हैं. इसके बाद रमेशर ने सरिया, बालू और सीमेंट की मदद से घर में ही दो जहाज बना डाले. रमेशर के बेटे सनोज कुमार ने बताया की उनके पिता की इच्छा थी कि वो जहाज में बैठे. लेकिन गरीबी ऐसी थी कि उनका यह सपना पूरा नहीं हो पाया.
जहाज वाले गांव के रूप में पहचान
ऐसे में उन्होंने घर पर ही पूरी जहाज बना डाली और इस जहाज में घर के बच्चे चढ़ते हैं, खेलते हैं और पढ़ाई भी करते हैं. सनोज के मुताबिक उनके पिता ने दो जहाज बनाए. इसमें एक जहाज का काम पूरा भी हो गया, लेकिन दूसरे जहाज अभी पूरा भी नहीं हुआ था कि वह बीमार पड़ गए और इसी बीमारी में उनकी मौत हो गई. परिजनों के मुताबिक यह दोनों जहाज उनके पिता के यादगार के तौर पर हैं. बल्कि देखा जाए तो यह दोनों जहाज उनके गांव की पहचान बन गए हैं.
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समाज के लिए प्रेरणाश्रोत
अब तो लोग उनके गांव को जहाज वाला गांव कहने लगे हैं. रमेशर की पत्नी दुइजा देवी नेबताया की उनके पति भले ही उड़ने वाले जहाज में नहीं चढ़ पाए, लेकिन उनके बनाए जहाज का आनंद उनके परिवार के लोग और बच्चे खूब उठा रहे हैं. दूइजा देवी के मुताबिक इस जहाज को देखकर ही उन्हें उनके पति की यादें ताजी हो जाती है. यह दोनों जहाज समाज को भी प्रेरणा देते हैं कि यदि ठान लिया जाए तो इस दुनिया में कोई ऐसा लक्ष्य नहीं है, जिसे हासिल ना किया जा सके.