अयोध्या: कौन हैं रामलला की सगी बहन? छप्पन भोग सजाकर भेजी डिजाइनर राखी | Ayodhya Ramnagari Rakshabandhan sister Shanta sent Rakhi for Ramji King Dashrath daughter


रामलला को बहन के घर से आई राखी
देश भर में रक्षाबंधन का त्योहार बड़े हर्ष और उल्लास के साथ मनाया जा रहा है. अयोध्या में रामलला को भी उनकी बहन ने राखी भेजी है. भगवान राम की सगी बड़ी बहन शांता के घर से तो राखी आई ही है, उनके दोनों आश्रमों से भी हमेशा की तरह इस बार भी राखी और छप्पन भोग रामलला को भेजे गए हैं. आज रक्षाबंधन के मौके पर रामलला को बहन के घर से आए छप्पन भोग का ही प्रसाद चढ़ाया गया. वहीं तीनों स्थान से आई राखियों को मुख्य पुजारी आचार्य सत्येंद्र दास ने रामलला की कलाई में बांधा.
इस मौके पर वेद ध्वनि के साथ हजारों साल से चली आ रही परंपरा का निर्वहन किया गया. भगवान राम की सगी बड़ी बहन शांता के घर और आश्रमों से हर साल रक्षाबंधन के मौके पर राखी और मिठाई आती है. इसी क्रम में शांता के पति श्रृंगी ऋषि के हिमाचल प्रदेश स्थित कुल्लू और कर्नाटक के श्रंगेरी मंदिर से एक दिन पहले रामलला के मंदिर में राखियां पहुंच गई थीं. वहीं अयोध्या और अंबेडकर नगर जिले की सीमा पर स्थित प्राचीन श्रृंगी ऋषि आश्रम माता शांता मंदिर से राखी और छप्पन भोग के साथ बड़ी संख्या में महिलाएं राम मंदिर पहुंची.
कौन है रामजी की सगी बहन शांता
गाजे बाजे के साथ राम मंदिर पहुंची इन महिलाओं ने मुख्य पुजारी सत्येंद्र दास के आवास पर रामलला की बड़ी बहन शांता की ओर से डिजाइनर राखी और छप्पन भोग अर्पित किया. आचार्य सत्येंद्र दास ने भी उसी श्रद्धा भाव के साथ राखी और छप्पन भोग रामलला को अर्पित किया. अब जान लीजिए कि ये राखियां भेजने वाली भगवान राम की बड़ी बहन शांता कौन हैं. दरअसल शांता का जिक्र तुलसीदास जी श्रीराम चरित मानस में नहीं किया है. हालांकि महर्षि वाल्मिकी और स्कंद पुराण में शांता की कथा आती है.
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दशरथ और कौशल्या की बेटी थीं शांता
इसमें बताया गया है कि महाराज दशरथ और महारानी कौशल्या को कोई संतान नहीं हो रही थी. बड़े इंतजार के बाद एक संतान हुई भी तो वह बेटी थी. इस बेटी के पैदा होने से दशरथ खुश नहीं थे. इसलिए माता कौशल्या से उनकी बहन बहन वर्षिणी ने उनकी बेटी गोद ले ली. उस समय वर्षिणी के पति रोमपाद अंग देश के राजा था. रोमपाद ने शांता के किशोर होने पर उनकी शादी श्रृंगी ऋषि से करा दिया. उस समय ऋृंगी हिमाचल प्रदेश के कुल्लू में तपस्या कर रहे थे.
वाल्मिकी रामायण में आती है कथा
वाल्मिकी रामायण में कथा आती है कि महर्षि वशिष्ठ की सलाह पर राजा दशरथ ने अपनी पुत्र कामेष्ठि यज्ञ को संपन्न कराने के लिए श्रृंगी ऋषि को ही आमंत्रित किया था. इसके लिए उन्होंने अपनी बेटी शांता के जरिए श्रृंगी ऋषि को मनाया था. इस अनुष्ठान को संपन्न कराने के लिए ही श्रृंगी ऋषि कुल्लू से चलकर अयोध्या और अंबेडकर नगर के बॉर्डर पर आए और कुछ समय तक यहीं पर रहे थे. हालांकि भगवान राम के जन्म के बाद वह दक्षिण में कर्नाटक के श्रृंगेरी चले गए थे. आज भी कुल्लू, अयोध्या और कर्नाटक के श्रंगेरी में श्रृंगी ऋषि का आश्रम है. इन तीनों ही स्थानों से आज भी भगवान राम को राखी आती है. कहा जाता है कि यह परंपरा हजारों साल से निरंतर चली आ रही है.