मायावती और अखिलेश के झगड़े में कांग्रेस का प्लान बी क्या है ! | uttar pradesh loksabha elections 2024 india alliance rahul gandhi mallikarjun kharge mayawati akhilesh


मायावती, खरगे, अखिलेश
अब तक समाजवादी पार्टी का पलड़ा भारी लग रहा था. कांग्रेस मान रही थीं कि जो मिलेगा, उसी से काम चला लेंगे. कांग्रेस याचक की मुद्रा में आ गई थी. एमपी, राजस्थान और छत्तीसगढ़ के चुनावों में हार से पार्टी का हौसला जीरो बैलेंस पर आ गया था. समाजवादी पार्टी की तरफ से ये माहौल बनाया जा रहा था कि रायबरेली अमेठी के बाद कांग्रेस कहीं नहीं है. पार्टी अध्यक्ष अखिलेश यादव 65 से कम सीटों पर लड़ने को तैयार नहीं हैं. इसका मतलब कांग्रेस के खाते में बस दस सीटें आएंगी. राहुल गांधी ने अखिलेश यादव से वादा कर दिया कि सीटों के बंटवारे पर आखिरी फैसला आपका ही होगा.
एक कहावत भोजपुरी में बड़ी पुरानी है. दू लड्डू लड़ी फेर बूंदियां झड़ी. इसका मतलब ये है कि जब दो लोग लड़ते हैं तो इसका फायदा ही होता है. पर इस तरह के झगड़े में फायदा हमेशा तीसरे का ही होता है. यूपी की राजनीति में इन दिनों ऐसा ही हो रहा है. मायावती और अखिलेश यादव में आर पार की लड़ाई जारी है. अखिलेश यादव का बीएसपी की गारंटी कौन लेगा वाले बयान ने आग में घी का काम किया. मायावती को ऐसी मिर्ची लगी कि उन्होंने तो अखिलेश से अपनी जान को खतरा तक बता दिया.
‘दलित विरोधी है समाजवादी पार्टी’
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पिछले लोकसभा चुनाव में मायावती और अखिलेश यादव साथ साथ थे. अखिलेश की पत्नी डिंपल यादव ने मैनपुरी में मंच पर मायावती के पैर छूकर आशीर्वाद लिए थे. लेकिन अब मायावती को वही अखिलेश और उनकी पार्टी के लोग दलित विरोधी लगते हैं. मायावती कहती हैं कि वे तो समाजवादी पार्टी का चाल, चरित्र और चेहरा बदलना चाहती थी. पर वे तो जातिवादी निकले. मायावती अब तक न तो इंडिया गठबंधन में हैं न ही एनडीए में. उन्होंने अकेले ही लोकसभा चुनाव लड़ने का एलान किया है.
मुस्लिम नेता कर रहे बीएसपी की वकालत
मायावती के एकला चलो रे की घोषणा के बाद भी कांग्रेस के कई नेता उनसे गठबंधन की आस लगाए हुए हैं. लखनऊ से लेकर दिल्ली तक हुई कांग्रेस की बैठक में इस तरह की मांग लगातार उठ रही है. इमरान मसूद और सलमान खुर्शीद समेत अधिकतर पार्टी के मुस्लिम नेता बीएसपी की वकालत कर रहे हैं. जबकि इंडिया गठबंधन की दिल्ली में हुई बैठक में कांग्रेस से अखिलेश यादव बीएसपी को बाहर रखने का वादा ले चुके हैं. मायावती ने आरोप लगाया है कि गठबंधन करने के लिए अखिलेश यादव बीएसपी को बाहर रखने की शर्त रखते हैं. अखिलेश यादव और मायावती के झगड़े ने कांग्रेस को टॉनिक दे दिया है.
कांग्रेस को मायावती के ग्रीन सिग्नल का इंतजार
यूपी में सीटों के बंटवारे को लेकर कांग्रेस अब किसी जल्दबाजी में नहीं है. वो समाजवादी पार्टी को उलझाए रखने की रणनीति पर काम कर रही है. उसे इंतजार मायावती के ग्रीन सिग्नल का है. कांग्रेस के यूपी प्रभारी अविनाश पांडे की मानें तो इंडिया गठबंधन के कुछ साथी बीएसपी के संपर्क में हैं. कांग्रेस के कुछ नेता तो प्लान बी पर भी काम कर रह हैं. अगर सीटों के बँटवारे पर समाजवादी पार्टी से बात नहीं बनी तो फिर प्लान बी चालू हो सकता है. इसमें कांग्रेस इस बार बीएसपी और आरएलडी के साथ मिल कर चुनाव लड़ सकती है. इस फ़ार्मूले में बीएसपी को दूसरे राज्यों में भी सीटें ऑफ़र की जा सकती हैं. पश्चिमी यूपी के अधिकतर कांग्रेस नेता इसी राय के हैं. बस फ़ैसला मायावती को करना है. उनकी भी पार्टी बीएसपी के अधिकतर नेता इसी फ़ार्मूले के साथ है.