सिर्फ UP की राजनीति करने की बात कहने वाले अखिलेश MP को लेकर क्यों जिद्दी हो रहे हैं? | Why is Akhilesh Yadav active in PM election, who talks about doing only UP politics

अखिलेश यादव ने एक बार कहा था कि वे सिर्फ यूपी की राजनीति करते हैं. तो फिर एमपी में विधानसभा चुनाव को लेकर वे इतने एक्टिव क्यों हैं! कांग्रेस से सीटों का बंटवारा न होने पर अखिलेश एमपी का बदला यूपी में लेने की धमकी दी है. उन्होंने ने तो इंडिया गठबंधन से बाहर निकल जाने की बात तक कह दी है. अब लोग पूछ रहे हैं कि यूपी की राजनीति वाले अखिलेश यादव का मन एमपी क्यों लगने लगा है!
बात यूपी या एमपी की नहीं है. अखिलेश यादव के एक करीबी नेता बताते हैं ये मामला नीति और नीयत का है. समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने कभी राष्ट्रीय राजनीति को फ़ोकस में नहीं रखा. उनकी नजर दिल्ली पर नहीं लखनऊ की सत्ता पर रही है. अभी पांच राज्यों में विधानसभा का चुनाव हो रहा है लेकिन समाजवादी पार्टी इनमें से सिर्फ मध्य प्रदेश में ही चुनाव लड़ रही है.
अखिलेश ने दिया बीआरएस को समर्थन
समाजवादी पार्टी इंडिया गठबंधन में कांग्रेस के साथ है. लेकिन तेलंगाना के चुनाव में अखिलेश यादव ने के. चंद्रशेखर राव की पार्टी बीआरएस को समर्थन दिया है. अखिलेश ने तो अपना एक प्रचार रथ भी तेलंगाना भेज दिया है. छत्तीसगढ़ में समाजवादी पार्टी के कार्यकर्ताओं ने कुछ दिनों पहले रायपुर में एक कार्यक्रम रखा था. इस प्रोग्राम में अखिलेश यादव को बुलाया गया था. लेकिन आखिरी मौके पर उन्होंने रायपुर का दौरा रद्द कर दिया. वे नहीं चाहते थे कि समाजवादी पार्टी छत्तीसगढ़ में कांग्रेस के खिलाफ खड़ी नजर आए. राजस्थान को लेकर भी अखिलेश यादव का यही स्टैंड रहा है.
एमपी में अखिलेख का क्या है रुख?
मध्य प्रदेश में पिछले विधानसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी के एक विधायक चुने गए थे. जबकि छह सीटों पर पार्टी दूसरे नंबर पर रही. एक समय में एमपी में समाजवादी पार्टी के सात विधायक हुआ करते थे. 2018 में कांग्रेस बहुमत से पीछे रह गई थी. तब सबसे पहले समाजवादी पार्टी ने ही बिना शर्ट कमलनाथ के समर्थन दिया था. तब कांग्रेस नेता अहमद पटेल ने समर्थन के लिए अखिलेश यादव को फोन किया था. इस बार के चुनाव के लिए कांग्रेस की तरफ से अखिलेश यादव को गठबंधन करने का ऑफर मिला.
सितंबर के महीने में दिल्ली में इंडिया गठबंधन की कोआर्डिनेशन कमेटी की बैठक में भी इस पर चर्चा हुई. समाजवादी पार्टी के सांसद जावेद अली खान और कांग्रेस के संगठन महामंत्री के सी वेणुगेपाल में भी बातचीत हुई. सीटों के बंटवारे पर फिर कमलनाथ और अखिलेश यादव के बीच कई राउंड की बातचीत हुई. कांग्रेस की तरफ से कहा गया कि एमपी कांग्रेस के अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ही इस पर आखिरी कॉल लेंगे. इस बीच अखिलेश यादव ने एमपी का दो दिनों का दौरा किया. रीवा जाकर उन्होंने चुनाव रैली भी की. लेकिन उन्होंने कांग्रेस के खिलाफ एक शब्द नहीं कहा.
एमपी में कांग्रेस से अखिलेश की अपेक्षा
समाजवादी पार्टी ने शुरुआती दौर में कांग्रेस से दस सीटों की मांग की. लेकिन कमलनाथ से बातचीत के बाद छह सीटों पर फार्मूला तय हुआ. ये भी फैसला हुआ कि कांग्रेस के एक नेता समाजवादी पार्टी के सिंबल पर लड़ेंगे. इसके बाद अखिलेश यादव ने अपनी पार्टी के पांच उम्मीदवारों को कमलनाथ से भी मिलने के भेज दिया. वे यह मान कर चल रहे थे कि एमपी में कांग्रेस से सीटों का बंटवारा तय हो चुका है. लेकिन 15 अक्टूबर की सुबह कांग्रेस ने 144 उम्मीदवारों की लिस्ट जारी कर दी. इनमें वे सीटें भी थीं जिन पर समाजवादी पार्टी का दावा था.
कांग्रेस के इस फैसले से अखिलेश यादव हैरान रह गए. वे गठबंधन में चुनाव लड़ने की तैयारी में थे और कांग्रेस ने उनके लिए कोई सीट ही नहीं छोड़ी. कमलनाथ के बयान ने झगड़े को और बढ़ा दिया. उन्होंने कहा कि इंडिया गठबंधन राष्ट्रीय स्तर पर है, प्रदेश स्तर पर नहीं. उसी दिन मतलब 15 अक्टूबर की शाम को समाजवादी पार्टी ने भी नौ उम्मीदवारों की घोषणा कर दी. इसके बाद से तो समाजवादी पार्टी और कांग्रेस में घमासान जारी है.
अखिलेश यादव ने क्यों कहा- कि धोखा हुआ!
कांग्रेस की तरफ से सीटें न छोड़ने पर अखिलेश यादव ने कहा कि उनके साथ धोखा हुआ है. समाजवादी पार्टी के प्रवक्ता उदयवीर सिंह कहते हैं कि कांग्रेस सिर्फ लेना जानती हैं, देना नहीं. उन्होंने कहा कि एमपी चुनाव को लेकर गठबंधन की बात हमने नहीं बल्कि कांग्रेस ने शुरू की थी. उदयवीर ने कहा कि हम घोसी का उप चुनाव जीते तो कांग्रेस कहने लगी उनके समर्थन के कारण जीते. फिर हम पर उत्तराखंड में बीजेपी को जीताने का आरोप लगा. जबकि घोसी चुनाव के लिए समाजवादी पार्टी ने कांग्रेस से समर्थन की अपील की थी.
उधर कांग्रेस ने उत्तराखंड चुनाव के लिए समाजवादी पार्टी से समर्थन नहीं मांगा था. यूपी कांग्रेस के अध्यक्ष अजय राय कहते हैं कि बीजेपी को हराने के लिए एमपी में समाजवादी पार्टी हमारा समर्थन करे. इसके जवाब में अखिलेश यादव के एक करीबी नेता कहते हैं कि ये अजय राय का एमपी चुनाव से क्या लेना देना ! कमलनाथ और दिग्विजय सिंह ने हमसे तो कोई समर्थन नहीं मांगा.
सिर्फ कार्यकर्ताओं को मैसेज देना ही मकसद था?
समाजवादी पार्टी के एक राज्यसभा सांसद कहते हैं – अगर हम एमपी में चुनाव नहीं लड़ते तो कार्यकर्ताओं में गलत मैसेज जाता. हमारे नेता बीएसपी और दूसरी पार्टियों में जाने लगे थे. उन्होंने कहा कि राजनगर सीट से पिछले चुनाव में 26 हजार वोट लेने वाले घासीराम पटेल बीएसपी में शामिल हो गए. समाजवादी पार्टी को अपनी ताकत और कमजोरी दोनों का एहसास है. यूपी ही समाजवादी पार्टी की ताकत है और वो इसी पिच पर ही बने रहना चाहती है.