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फिर बढ़ाया गया विनय पाठक कार्यकाल, अगले 3 साल बने रहेंगे CSJMU के कुलपति | Vinay Pathak Professor will remain Vice Chancellor of CSJMU Kanpur for next 3 years

फिर बढ़ाया गया विनय पाठक कार्यकाल, अगले 3 साल बने रहेंगे CSJMU के कुलपति

सीएसजेएमयू कानपुर के कुलपति विनय पाठक.

छत्रपति शाहू जी महाराज विश्वविद्यालय (CSJMU) कानपुर के कुलपति विनय पाठक का कार्यकाल एक बार फिर बढ़ा दिया गया है. अगले तीन साल तक वो विश्वविद्यालय कुलपति के पद पर बने रहेंगे. इस बाबत कुलाधिपति आनंदी बेल पटेल ने गुरुवार को आदेश जारी किया है. इससे पहले कार्यकाल पूरा होने के बाद राज्यपाल ने पाठक को छह महीने का सेवा विस्तार दिया था.

जारी आदेश में उन्होंने कहा है,मैं आनंदीबेन पटेल कुलाधिपति, छत्रपति शाहू जी महाराज विश्वविद्यालय कानपुर, उत्तर प्रदेश राज्य विश्वविद्यालय अधिनियम 1973 की धारा-12 की उपधारा-1 के तहत प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए प्रोफेस विनय कुमार पाठक कुलपति छत्रपति शाहू जी महाराज विश्वविद्यालय को कार्यभार ग्रहण करने की तिथि से तीन साल की अवधि के लिए विश्वविद्यालय कानपुर का कुलपति नियुक्त करती हूं.

लगातार दूसरी बार कुलपति बने हैं विनय पाठक

विनय पाठक इस तरह कानपुर विश्वविद्यालय के लगातार दूसरी बार कुलपति बने हैं. राज्यपाल आनंदी बेन पटेल ने बीएचयू (बनारस हिंदू विश्वविद्यालय) की प्रोफेसर कविता शाह को सिद्धार्थ विश्वविद्यालय कपिलवस्तु का कुलपति नियुक्त किया है. कार्यभार ग्रहण करने की तिथि से उनका भी कार्यकाल तीन साल का होगा.

कई विश्वविद्यालयों में कुलपति रह चुके हैं पाठक

विनय पाठक इससे पहले 2009 में उत्तराखंड मुक्त विश्वविद्यालय हल्द्वानी और 2013 में कोटा के वर्धमान महावीर मुक्त विश्वविद्यालय के कुलपति बनाए गए थे. साल 2014 में उन्हें राजस्थान तकनीकी विश्वविद्यालय कोटा और 2017 में हरकोर्ट बटलर प्राविधिक विश्वविद्यालय (HBTU) कानपुर के कुलपति की जिम्मेदारी सौंप गई थी.

विवादों से भी रहा है पाठक का नाता

छत्रपति शाहूजी महाराज विश्वविद्यालय के कुलपति विनय पाठक का विवादों से भी नाता रहा है. उनकेऔर उनके करीबी एक्सएलआईसीटी कंपनी के मालिक अजय मिश्र के खिलाफ अवैध वसूली और धमकी देने के मामले में केस दर्ज हो चुका है. इस मामले में आरोप लगा था कि भीमराव अंबेडकर विश्वविद्यालय आगरा के कुलपति रहते हुए पाठक ने कंपनी की ओर से किए गए करोड़ों के काम का बिल पास करने के लिए 15 प्रतिशत कमीशन वसूला था.

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