प्रभु राम ने जहां काटा साढ़े 11 साल वनवास, प्राण प्रतिष्ठा में वहां से कितने साधु संत जा रहे? | chitrakoot mahant divya jeevan das maharaj comment on ayodhya ram mandir pran pratishtha stwas

22 जनवरी अयोध्या में राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा का कार्यक्रम है. इसको लेकर पूरे देश में इस समय उत्साह का माहौल है. सब अपने-अपने तरीके से इस दिन को मनाने की तैयारी कर रहे हैं. प्रभु श्रीराम को लेकर लोगों के बीच गजब की आस्था है. सभी को अक्षत निमंत्रण जा चुके हैं. देश के 4 हजार से अधिक साधु-संतों को बुलाया गया है, जिनमें धर्म नगरी चित्रकूट से 56 संत-महंतों को आमंत्रित किया गया है. जन्मस्थली अयोध्या से लेकर तपोस्थली चित्रकूट तक प्रभु श्रीराम के नए मंदिर में आगमन का उत्साह है.
चित्रकूट के महंत दिव्य जीवन दास महाराज ने कहा कि आज भी प्रभु श्रीराम अयोध्या से ज्यादा चित्रकूट को प्यार करते हैं. अयोध्या में 22 जनवरी को राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा है. यह हम सभी के लिए बेहद खुशी की बात है, लेकिन आज भी चित्रकूट में प्रभु श्रीराम का वास है. कलयुग में चित्रकूट के रामघाट में बाबा तुलसी को प्रभु श्रीराम ने दर्शन दिए थे. चित्रकूट में आज भी प्रभु श्रीराम की महिमा देखी जा सकती है. उनका जन्म भले ही अयोध्या में हुआ है, जहां उन्हें मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम का नाम मिला, लेकिन चित्रकूट से वो प्रभु श्रीराम कहलाए.
साढ़े 11 साल चित्रकूट में रहे थे प्रभु श्रीराम- महंत
महंत दिव्य जीवन दास महाराज ने कहा कि चित्रकूट वासी प्रभु श्रीराम को सबसे ज्यादा मानते हैं. उसका सबसे बड़ा कारण यह है कि 14 वर्ष के वनवास काल में से साढ़े 11 साल का समय प्रभु श्रीराम ने चित्रकूट में ही बिताया था. रामलला अपनी जन्मभूमि से बहुत दिनों तक वंचित रहे. अब वह समय आ गया है, जब रामलाल अपने नए घर में विराजमान होने जा रहे हैं. प्रभु श्रीराम के दिव्य मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा 22 जनवरी को होने जा रही है. इससे चित्रकूट के सभी साधु-संत बहुत खुश हैं.
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भगवान राम की तपोस्थली चित्रकूट भी 22 जनवरी को राममय हो जाएगी. दीप उत्सव के साथ भगवान राम मंदिर के अंदर प्रवेश कर जाएंगे. यह सारा कार्यक्रम अयोध्या में होगा, लेकिन चित्रकूट में भी उसकी खुशी कम देखने को नहीं मिलेगी, क्योंकि राम तो सभी के हैं.
हर अमावस्या को लगता है भारी मेला
चित्रकूट के राम खास क्यों है, इसको लेकर के यहां के संतों-महंतों की अपनी-अपनी राय है. महंत दिव्य जीवन दास बताते हैं कि प्रभु श्रीराम जब वनवास के लिए चित्रकूट में आए थे तो उनको यहां रहने की आज्ञा ब्रह्मा जी ने स्वयं दी थी और यही वजह है कि आज चित्रकूट में राम बसते हैं. पूरी आस्था के साथ हजारों के झुंड में लोग यहां आते हैं. राम की खुशी में हर अमावस्या को लाखों की संख्या में श्रद्धालु मंदाकिनी नदी में स्नान करके अपने आप को धन्य मानते हैं.
यही नहीं भक्त कामतानाथ भगवान की परिक्रमा लगाते हैं, तभी तो कहते हैं कि बसते हैं चित्रकूट में राम. महंत दिव्य जीवन दास महाराज ने कहा कि राम नाम का जाप करते हुए आज भी लोगों को चित्रकूट में देखा जा सकता है. प्राण प्रतिष्ठा के बाद चित्रकूट में कैसा नजारा होगा, अगर भक्त देखना चाहते हैं तो चित्रकूट की उस पावन धरती पर जरूर पहुंचें, जो धरती भगवान राम की तपोभूमि यानि कि चित्रकूट धाम कहलाती है.
(इनपुट- धीरेंद्र शुक्ल/चित्रकूट)