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UP में संभल और वक्फ के मामलों में घिर रहे अखिलेश यादव का जातीय ध्रुवीकरण

UP में संभल और वक्फ के मामलों में घिर रहे अखिलेश यादव का जातीय ध्रुवीकरण

समाजवादी पार्टी मुखिया अखिलेश यादव (फाइल फोटो)

उत्तर प्रदेश की राजनीति में इस वक्त जातियों की सियासत चरम पर है. एक तरफ भाजपा संभल और वक़्फ़ के बहाने धार्मिक ध्रुवीकरण पर जुटी है. राष्ट्रवाद के नाम हिंदुओं को एकजुट कर रही है, तो यूपी में मुख्य विपक्षी पार्टी सपा जातियों के नाम पर ध्रुवीकरण करने में लग गई है. अपने सांसद लालजी सुमन के बयान के बहाने अखिलेश यादव अपने PDA को और मजबूत करने के नियत से सरकार को एक जाति विशेष की सरकार करार दे रहें है.

अखिलेश का निशान पीडीए का ‘D’ यानी दलित है. मायावती से छिटके दलितों को अपने खेमे में लाने के लिए अखिलेश यादव लगातार योगी सरकार को ‘सिंह भाई’ यानी ठाकुरों की सरकार साबित करने में जुटी हुई है. अखिलेश यादव शायद इसीलिए अब पुलिस विभाग में ठाकुरों की पोस्टिंग का आकंड़े दिखा कर इसे एक जाति विशेष की सरकार साबित करने में जुटे है.

हालांकि यूपी की सियासत में यह नया आरोप नहीं है, इससे पहले भी जब बीजेपी विपक्ष में थी, तब अखिलेश सरकार पर यादवों को पोस्टिंग में तरजीह देने का आरोप लगाती थी. अब अखिलेश विपक्ष में है तो योगी सरकार पर जाति को लेकर निशाना साध रहें है.

पुलिस पोस्टिंग में जाति विशेष का बोल-बाला- अखिलेश

संभल और वक्फ नए कानून के बाद बने हालात के बाद अखिलेश यादव ने ‘जाति की राजनीति’ को काट के तौर पर इस्तेमाल करने का प्लान बनाया है. इसके लिए अखिलेश यादव ने उत्तर प्रदेश पुलिस पर जातिवाद का आरोप लगाते हुए पोस्टिंग्स में जाति ढूंढनी शुरू कर दी हैं. आगरा से लेकर प्रयागराज तक जिलों में जाति के आंकड़े बताने वाले अखिलेश यादव को यूपी पुलिस ने तथ्यात्मक आंकड़ों के जरिए जवाब भी दिया. लेकिन इसके बावजूद अखिलेश यादव अपने आंकड़ों को लेकर पीछे हटते दिखाई नहीं दे रहे.

इन आंकड़ों में अखिलेश का दावा है कि पुलिस पोस्टिंग में एक जाति विशेष का बोल-बाला है. अखिलेश यादव ने आगरा, महोबा चित्रकूट और मैनपुरी जिले में ठाकुरों के ज्यादा पोस्टिंग्स पर होने का आरोप लगाया. जिसके बाद उत्तर प्रदेश के डीजीपी ने आरोपों का जवाब भी दिया. इसके बावजूद अखिलेश यादव ने प्रयागराज जिले के बारे में भी आंकड़े जारी कर दिए. इन सभी जिलों की पुलिस की ओर से भी सपा मुखिया के आरोपों का जवाब आया है.

जातिगत पक्षपात करने का लगाया गंभीर आरोप

दरअसल, यूपी की राजनीति में जाति की सियासत सबके बड़ी सच्चाई है. लिहाजा 2027 में होने वाले यूपी विधानसभा चुनाव को देखते हुए सियासी बयानबाजियों का दौर तेज हो गया है. इसी कड़ी में समाजवादी पार्टी (सपा) के अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने शनिवार को योगी आदित्यनाथ सरकार पर अधिकारियों की तैनाती में जातिगत पक्षपात करने का गंभीर आरोप लगाया है. उन्होंने दावा किया कि यूपी में थानेदारों की पोस्टिंग जाति देखकर की जा रही है और पुलिस थानों पर ठाकुर समुदाय के लोगों का दबदबा है.

प्रयागराज में मीडिया से बातचीत करते हुए अखिलेश यादव ने कहा कि प्रदेश में बांटो और राज करो की नीति के तहत अफसरों के तबादले और तैनाती हो रही है. उन्होंने कुछ जिलों की SHO यानी थानाध्यक्षों की जातिगत लिस्ट साझा करते हुए कहा, ‘आगरा में कुल 48 पुलिस थानों में से सिर्फ 15 थानेदार PDA (पिछड़ा, दलित, अल्पसंख्यक) समुदाय से हैं, जबकि बाकी सभी ‘सिंह भाई लोग’ यानी ठाकुर समुदाय से हैं.’

DGP के बयान बाद भी अखिलेश आक्रामक

उन्होंने कहा, ‘मैनपुरी में कुल 15 SHO में सिर्फ 3 PDA समुदाय से हैं, जबकि 10 ठाकुर समुदाय से हैं. चित्रकूट में 10 में से 2 PDA और 5 ठाकुर समुदाय से, जबकि महोबा में 11 थानों में 3 PDA और 6 ठाकुर समुदाय से हैं.’ सूबे के पूर्व मुख्यमंत्री की ओर से लगे इन आरोपों के सामने आने के बाद पुलिस के मुखिया यानी प्रदेश के डीजीपी ने अपनी ओर से इन आरोपों का जवाब भी दिया. डीजीपी प्रशांत कुमार ने कहा कि पोस्टिंग में कहीं भी जाति नहीं देखी जाती, नियमों का पालन करके ही पोस्टिंग की जाती है. जिम्मेदार लोगों को ऐसी गलत बयानबाजी से बचना भी चाहिए.

लेकिन जातिवाद के आंकड़ों पर ये बयानबाजी और राजनीति यहां रुकती नहीं दिखती. जैसे ही प्रदेश के पुलिस के सबसे बड़े अधिकारी यानी डीजीपी का बयान सामने आया. अखिलेश यादव ने एक ट्वीट और करके लिस्ट में प्रयागराज का नाम भी शामिल कर दिया और अपनी ओर से आरोप लगाते हुए उसके आंकड़े भी रखे. अखिलेश यादव ने एक्स पर पोस्ट में लिखा कि, ‘90% PDA को प्रयागराज पुलिस में केवल 25% प्रतिनिधित्व. ये है पीडीए के साथ किया जा रहा आनुपातिक अन्याय है.

मिल्कीपुर उपचुनाव से पहले भी लगाया था आरोप

पोस्ट के साथ दिए आंकड़ों में कुल 44 पोस्टिंग में 11 पीडीए, 14 सिंह और 19 अन्य जनरल कास्ट की होने का दावा किया गया है. अखिलेश यादव की इस पोस्ट पर प्रयागराज पुलिस की ओर से जवाब भी आया है जिसमें लिखा गया है कि उक्त पोस्ट में दी गई सूचना सही नहीं है. जनपद प्रयागराज में थाना प्रभारी की नियुक्ति हेतु कर्तव्यनिष्ठा, सत्य निष्ठा, सामाजिक सद्भाव और जन शिकायतों के प्रति संवेदनशीलता के आधार पर योग्य कर्मचारियों का चयन किया जाता है.

उन्होंने कहा कि जनपद में तैनात लगभग 40 प्रतिशत थाना प्रभारी ओबीसी और एससी/एसटी वर्ग से हैं. थाना प्रभारी की नियुक्ति एक निष्पक्ष प्रक्रिया के द्वारा की जाती है. गौरतलब है कि उत्तर प्रदेश में अयोध्या जिले की मिल्कीपुर विधानसभा सीट पर होने वाले उपचुनाव से पहले भी पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने इसी तरह से आंकड़े जारी कर पीडीए की उपेक्षा का आरोप लगाया था. अब देखना ये है कि आंकड़ों की इस राजनीति में किसे कितना फायदा और नुकसान होता.

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