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प्राण प्रतिष्ठा के 8 महीने बाद राम मंदिर पहुंचे शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती, तिरुपति के लड्डू विवाद पर क्या बोले?

प्राण प्रतिष्ठा के 8 महीने बाद राम मंदिर पहुंचे शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती, तिरुपति के लड्डू विवाद पर क्या बोले?

शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती

ज्योतिष पीठ के शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद शनिवार को अयोध्या पहुंचे. रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के 8 महीने बाद अयोध्या पहुंचे हैं. आज वह राममंदिर परिसर में रामकोट की परिक्रमा करेंगे. शनिवार की शाम को हनुमानगढ़ी दर्शन करने पहुंचे शंकराचार्य ने मीडिया से भी बात की. इस दौरान उन्होंने तिरुपति के लड्डू को लेकर बड़ा बयान दिया. उन्होंने कहा कि रामलला की प्राण प्रतिष्ठा में एक लाख लड्डू आए थे. प्रसाद के तौर पर जिन भक्तों ने यह लड्डू प्रसाद ग्रहण किया और अब उन्हें पाप बोध हो रहा है तो वह पंचगव्य का प्रासन कर फिर से अपने शरीर और आत्मा को पवित्र बना सकते हैं.

उन्होंने कहा कि पंचगव्य के प्रासन से इस तरह के पाप का दहन होता है. हालांकि उन्होंने शास्त्रों का उल्लेख करते हुए कहा कि यदि कोई किसी जबरन या छल से इस तरह का अभाक्ष्य पदार्थ खिला देता है तो अनजाने में खाने वाले व्यक्ति को पाप नहीं लगता. उन्होंने कहा कि दो दिन से इस तरह के सवाल उनके पास खूब आ रहे हैं. वह लोगों को बता भी रहे हैं कि इस तरह से किसी को पापबोध होने की जरूरत नहीं है. बावजूद इसके यदि किसी भक्त को या सनातनी को ऐसा लगता है कि इस लड्डू को खाने से उसके शरीर की पवित्रता चली गई है तो पापबोध से मुक्ति के लिए वह पंचगव्य का प्रासन कर सकता है.

लाखों लोगों तक पहुंचा तिरुपति का लड्डू प्रसाद

उन्होंने कहा कि तिरुपति के लड्डू अयोध्या आए थे और यहां से लाखों लोगों तक इसे पहुंचाया भी गया था. चूंकि ये भगवान राम का प्रसाद था, इसलिए जिस किसी को एक भी लड्डू मिला, उसने छोटे छोटे टुकड़े कर अन्य लोगों को भी खिला दिया. ऐसे में यह बता पाना मुश्किल है कि यह लड्डू का प्रसाद कितने मुंह तक पहुंचा. अब चूंकि इस लड्डू का विवाद सामने आया है और लोगों के मन में अपराध बोध व पाप बोध आ रहा है. ऐसे में सनातनी जनता के सामने एक विकट समस्या उत्पन्न हो गई है. उन्होंने इस समस्या का समाधान बताते हुए कहा कि किसी ने भी यह पाप जानबूझ कर नहीं किया है.इसलिए इस तरह के पाप ना किए के बराबर ही होते हैं. उन्होंन लोगों ने अपील कि किसी को पश्चाताप करने की जरूरत नहीं है.

पता चलना चाहिए कि किसने किया ये अपराध

बावजूद इसके, यदि किसी को पापबोध होता भी है तो पंच गव्य का प्रासन कर इस तरह के पाप का दहन किया जा सकता है. इस मौके पर शंकराचार्य ने सवाल उठाया है कि इस तरह का अपराध किसने किया और क्यों किया? इस सवाल का जवाब जनता के सामने आना चाहिए. इस तरह का अपराध करने वाले व्यक्ति को कठोर से कठोर दंड भी मिलना चाहिए. इस मौके पर शंकराचार्य ने अपनी अयोध्या यात्रा का उद्देश्य और यहां के कार्यक्रमों की भी जानकारी दी. कहा कि रविवार को वह रामकोट की परिक्रमा करेंगे. इसके बाद श्रीरेश्वर नाथ मंदिर में जलाभिषेक और गौर संवर्धन को लेकर गौ पूजा समेत कई अन्य कार्यक्रमों में भी वह शामिल होंगे.

राम मंदिर में नहीं की पूजा

ज्योतिर्मठ के शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद रविवार को अयोध्या में मौजूद रहे लेकिन उन्होंने राम मंदिर में पूजा नहीं की. जब उनसे इस बारे में पूछा गया तो उन्होंने स्पष्ट शब्दों में कहा कि मंदिर अभी अधूरा है और आंशिक रूप से निर्मित है. ऐसे मंदिर में पूजा-अर्चना नहीं की जा सकती है. उन्होंने कहा कि वह मंदिर में तभी पूजा-अर्चना करेंगे जब मंदिर का शिखर पूरी तरह से तैयार हो जाएगा.

खास यात्रा की शुरुआत की

स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने अयोध्या से ‘गौ ध्वज स्थापना भारत यात्रा’ की शुरुआत की है. संतों की मौजूदगी में उन्होंने एक धर्मसभा को भी संबोधित किया. धर्मसभा में अविमुक्तेश्वरानंद ने संवैधानिक प्रावधानों को लागू करने और गाय की अप्रतिबंधित सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए कानून बनाने का आह्वान किया है.

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