कनाडा ने महिंदा और गोटाबाया पर लगाया प्रतिबंध, वजह आपको जरूर जाननी चाहिए

<p style="text-align: justify;"><strong>Sri Lanka:</strong> कनाडा सरकार ने तमिल अल्पसंख्यकों के खिलाफ 26 साल के लंबे युद्ध के दौरान मानवाधिकारों के हनन को लेकर श्रीलंका के पूर्व राष्ट्रपतियों महिंदा राजपक्षे और गोटाबाया राजपक्षे पर प्रतिबंध लगाए हैं. </p>
<p style="text-align: justify;">कनाडाई विदेश मंत्रालय ने मंगलवार को कहा कि कनाडा निम्नलिखित व्यक्तियों के खिलाफ प्रतिबंध लगा रहा है, जिन्होंने 1983 से 2009 तक श्रीलंका के नागरिक संघर्ष के दौरान मानवाधिकारों का घोर और व्यवस्थित तरीके से हनन किया था. प्रतिबंधों के अनुसार, राजपक्षे बंधुओं की संपत्ति जब्त कर ली जाएगी और उन्हें कनाडा में प्रवेश करने की अनुमति नहीं दी जाएगी.</p>
<p style="text-align: justify;">कनाडा के विदेश मंत्रालय ने कहा कि विशेष आर्थिक उपाय (श्रीलंका) सूचीबद्ध व्यक्तियों पर कनाडा और कनाडा के बाहर के कनाडाई लोगों को इन सूचीबद्ध व्यक्तियों की किसी भी संपत्ति से संबंधित किसी भी गतिविधि में संलग्न होने या वित्तीय सहायता प्रदान करने से प्रतिबंधित करके किसी भी तरह के लेनदेन पर प्रतिबंध लगाते हैं. बयान में कहा गया है कि नियमों की अनुसूची में सूचीबद्ध व्यक्तियों को भी आप्रवासन और शरणार्थी संरक्षण अधिनियम के तहत कनाडा के लिए अस्वीकार्य माना जाता है. </p>
<p style="text-align: justify;">गौरतलब है कि सरकारी बलों और अलगाववादी लिबरेशन टाइगर्स ऑफ़ तमिल ईलम (LTTE) के बीच 26 साल के गृह युद्ध में दसियों हज़ार लोग मारे गए थे. दोनों पक्षों पर युद्ध अपराधों का आरोप लगाया गया था, खासकर युद्ध के अंतिम महीनों में. तत्कालीन राष्ट्रपति महिंदा राजपक्षे और उनके भाई और तत्कालीन रक्षा सचिवगोटबाया राजपक्षे उन बलों की देख रेख करते थे, जिन पर तमिल नागरिकों को लक्षित करने का आरोप लगाया गया था. </p>
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