उपेक्षित होकर पी रहे हैं अपमान का घूंट, पीएम की सभा में शामिल नहीं होने पर जयंत चौधरी पर अखिलेश का तंज | Akhilesh taunts Jayant Chaudhary for not attending PM meeting Being neglected insulted 2024 Lok sabha Election


अखिलेश यादव और जयंत चौधरी
लोकसभा चुनाव में राष्ट्रीय लोकदल के प्रमुख जयंत चौधरी समाजवादी पार्टी का साथ छोड़कर बीजेपी के साथ मिलकर चुनाव लड़ रहे हैं. कभी एक-दूसरे के साथी रहे समाजवादी पार्टी के नेता अखिलेफ यादव और जयंत चौधरी के बीच अब बयानबाजी हो रही है. रविवार को अखिलेश यादव ने कल सहरानपुर की पीएम मोदी की रैली में जयंत चौधरी के शामिल नहीं होने पर तंज कसते हुए कहा कि उपेक्षित होकर अपमान का घूंट पी रहे हैं. उन्होंने जयंत चौधरी पर बिना नाम लिए अखिलेश यादव ने निशाना साधा है.
कल जयंत चौधरी को पीएम मोदी की सहारनपुर रैली में शामिल होना था. उसका ऐलान भी हो गया था, लेकिन जयंत मंच पर नही दिखे. अखिलेश यादव ने लिखा, “पश्चिमी उप्र में जिस प्रकार भाजपा की घोषित संयुक्त रैली में उनके साथ गये दल भी अपनी जगह नहीं बना पा रहे हैं और उपेक्षित होकर अपमान का घूंट पीकर रह जा रहे हैं.”
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अखिलेश का जयंत पर तंज
पश्चिमी उप्र में जिस प्रकार भाजपा की घोषित संयुक्त रैली में उनके साथ गये दल भी अपनी जगह नहीं बना पा रहे हैं और उपेक्षित होकर अपमान का घूंट पीकर रह जा रहे हैं, यहाँ तक कि अपने प्रत्याशी के समर्थन में की जा रही रैली तक में वो हिस्सा नहीं ले पा रहे हैं, इससे साफ़ ज़ाहिर होता है कि
— Akhilesh Yadav (@yadavakhilesh) April 7, 2024
उन्होंने लिखा, “यहां तक कि अपने प्रत्याशी के समर्थन में की जा रही रैली तक में वो हिस्सा नहीं ले पा रहे हैं, इससे साफ ज़ाहिर होता है कि भाजपा का गठबंधन गांठबंधन बन चुका है और वो पश्चिमी उप्र में सामाचार भर के लिए बचा है, सच में नहीं. भाजपा पश्चिमी उप्र में हार मान चुकी है.”
उन्होंने लिखा कि 24 के लोकसभा चुनाव में भाजपा की बोहनी खराब हो जाएगी क्योंकि उप्र में चुनाव पश्चिमी उप्र से ही शुरू हो रहा है. इंडिया गठबंधन के प्रत्याशियों के आगे भाजपाइयों का गुट हथियार डाल चुका है.
जयंत चौधरी और बीजेपी में हुआ समझौता
बता दें कि लोकसभा चुनाव में बीजेपी और आरएलडी के बीच समझौता हुआ है. चौधरी को अपने साथ लाना उस संदर्भ में महत्वपूर्ण है, क्योंकि रालोद का उस क्षेत्र में जाटों और किसानों के बीच प्रभाव है. चौधरी और अखिलेश यादव के बीच समझौता होने के एक महीने बाद फरवरी में रालोद और भाजपा के बीच समझौता हुआ था. यह बदलाव तब आया जब भाजपा ने पूर्व प्रधान मंत्री चरण सिंह, जो श्री चौधरी के दादा थे, को मरणोपरांत भारत रत्न से सम्मानित किया था.
2019 के चुनाव में बीजेपी ने पश्चिमी यूपी में 27 लोकसभा सीटों में से केवल 19 सीटें जीती थी. बीजेपी ने इस चुनाव में अपने दम पर 370+ सीटों का लक्ष्य रखा है. उस लक्ष्य को हासिल करने के लिए, भाजपा को यूपी से अधिकतम रिटर्न हासिल करने की आवश्यकता होगी, एक ऐसा राज्य जो लोकसभा में 80 सांसद भेजता है.
उन 80 सीटों में से दो पर आरएलडी चुनाव लड़ेगी; पार्टी को बिजनौर और बागपत सीट आवंटित की गई है और चंदन चौहान और राजकुमार सांगवान को उम्मीदवार बनाया गया है. इन सीटों को चौधरी के परिवार का गढ़ माना जाता है.