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इस चमत्कारी मंदिर के आगे मौसम विभाग भी फेल, पत्थर से टपकती बूंदें करती हैं मानसून की सटीक भविष्यवाणी | Kanpur meteorological department failed in front of this miraculous jagannath temple drops dripping from stones make accurate predictions of monsoon stwtg

इस चमत्कारी मंदिर के आगे मौसम विभाग भी फेल, पत्थर से टपकती बूंदें करती हैं मानसून की सटीक भविष्यवाणी

मानसून की भविष्यवाणी करने वाला मंदिर.

देश के कोने-कोने में कई रहस्यमयी जगह मौजूद हैं, जो अपने अनोखे रहस्यों के कारण दुनिया भर में प्रसिद्ध हैं. इन्हीं में से एक है उत्तर प्रदेश के कानपुर (Kanpur) से करीब 50 किलोमीटर दूर बुजुर्ग बेहटा गांव में स्थित भगवान जगन्नाथ का मंदिर. इस मंदिर की खासियत है कि यह मानसून को लेकर पहले से ही भविष्यवाणी (Predictions Of Monsoon) कर देता है. यानि इस साल कितनी बारिश होगी, इसकी भविष्यवाणी ये मंदर कर देता है. वो भी बिल्कुल अनोखे तरीके से.

इस मंदिर को ठाकुर जी बाबा के अलावा मानसून वाला मंदिर भी कहा जाता है. बारिश होने या फिर मानसून आने के कुछ दिन पहले से इस मंदिर के गर्भ ग्रह की छत से पानी की बूंदें टपकने लगती हैं. सबसे बड़ा अजूबा यह है कि इससे टपकी हुई बूंदें भी बारिश की बूंदों के आकार में होती है. इन बूंदों का आकार देखकर इस बात का अंदाजा लगा लिया जाता है कि इस बार मानसून अच्छा होगा कि कमजोर. जिस दिन बारिश होती है, तो मंदिर में पानी टपकना बंद हो जाता है.

मंदिर के पुजारी कुड़हा प्रसाद शुक्ला बताते हैं कि जून के पहले पखवारे में बूंदें गिरने लगती हैं. वर्तमान में गुंबद पर लगे पत्थर से बूंदें अच्छी मात्रा में गिर रही हैं. उनके मुताबिक चार-पांच दिन पहले तक बूंदें और ज्यादा मात्रा में थीं. बताया कि पत्थर पर बूंदें जैसे ही सूखती हैं, तुरंत बारिश होती है. इस वर्ष अभी बूंदें सूखी नहीं हैं. यह धीरे-धीरे कम जरूर हो रही हैं. इससे अनुमान है कि मानसून आने में कुछ देरी हो सकती है. बूंदों का आकार देखते हुए इस वर्ष अच्छे मानसून का अनुमान लगाया जा रहा है. मंदिर के इस रहस्य को जानकर वैज्ञानिक भी हैरान हैं.

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15 फीट की मूर्ति

इस मंदिर में काले पत्थर से बनी भगवान जगन्नाथ की करीब 15 फीट ऊंची मूर्ति स्थापित है. इसके साथ ही सुभद्रा और बलराम मूर्ति भी विराजमान है. ये मूर्तियां दीवार से काफी हटकर विराजमान हैं, जिससे श्रद्धालु भगवान जगन्नाथ की पूरी परिक्रमा कर सकते हैं. इसके साथ ही भगवान जगन्नाथ की मूर्ति के चारों ओर 10 अवतार की भी मूर्तियां बनी हुई हैं. हर एक अवतार के साथ अंत में कल्कि भी अंकित है. इस मंदिर के अंदर गर्भ ग्रह में चारों ओर खम्भे हैं जिनमें बेहतरीन तरीके से नक्काशी की गई है. तमाम सर्वेक्षणों के बाद भी आज तक नहीं पता लग पाया है कि यह मंदिर कब बना है.

काले पत्थर से बनी मूर्ति

मंदिर के मुख्य द्वार के पास एक प्राचीन कुंआ है. इसके साथ की मंदिर के दाईं ओर एक प्राचीन तालाब भी मौजूद है. काले पत्थर से बनी भगवान जगन्नाथ की प्रतिमा के साथ केवल उनके अग्रज बलराम की ही छोटी प्रतिमा है. उसके पीछे पत्थरों पर भगवान के दशावतार उकेरे गए हैं. इन दशावतारों में महात्मा बुद्ध के स्थान पर बलराम का चित्र उकेरा गया है.

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