उत्तर प्रदेशभारत

हमारे आदेशों का पालन क्यों नहीं हो रहा…कैदियों को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने क्यों लगाई यूपी सरकार को फटकार? | Supreme Court UP Government case of release of UP prisoners

हमारे आदेशों का पालन क्यों नहीं हो रहा...कैदियों को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने क्यों लगाई यूपी सरकार को फटकार?

सुप्रीम कोर्ट की तस्वीर Image Credit source: PTI

सुप्रीम कोर्ट ने कैदियों की सजा में छूट के मामले में यूपी सरकार को फटकार लगाई है. दरअसल, कोर्ट ने कहा है कि कई कैदियों की जमानत की याचिकाएं काफी समय से लंबित पड़ी है, जिसका निपटान किया जाए. अदालत ने कैदियों की माफी के आवेदनों के निपटान के लिए एक समय सीमा तय की थी जिसका यूपी सरकार ने पालन नहीं किया, इसी के चलते कोर्ट ने राज्य को फटकार लगाई.

राज्य ने कोर्ट से माफी मांगी लेकिन कोर्ट ने कहा, हम आपकी माफी की मांग को अस्वीकार करते हैं. आपकी ओर से जानबूझकर आदेश का पालन नहीं किया गया.

कोर्ट ने सरकार से पूछा सवाल

जस्टिस अभय एस ओका और जस्टिस एजी मसीह ने कहा कि हमारे आदेश पारित करने के बाद भी आप 2-4 महीने कैसे ले सकते हैं? कोर्ट ने कहा, राज्य सरकार का ऐसा रवैया कैदियों के अधिकारों के खिलाफ है. वह दोषियों के मौलिक अधिकारों के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं. कोर्ट की बात के जवाब में यूपी का पक्ष रख रहे वकील राकेश कुमार ने कहा प्राधिकारी छुट्टी पर थे. सुप्रीम कोर्ट ने जिसके जवाब में कहा कि एक हलफनामा दाखिल करें जिसमें कहा गया हो कि माननीय मुख्यमंत्री सचिवालय ने फाइल स्वीकार नहीं की और अधिकारियों के नाम सामने रखे.

कोर्ट ने दिया आदेश

कोर्ट ने आदेश दिया कि, हम निर्देश देते हैं कि वकील राकेश कुमार उन जिम्मेदार लोगों के नाम पेश करें जिन्होंने फाइल स्वीकार करने से इनकार कर दिया. अवमानना ​​पर किसी भी फैसले से पहले, हम निर्देश देते हैं कि 14 अगस्त तक मुख्यमंत्री कार्यालय में अधिकारियों के साथ हलफनामा पेश किया जाए. हालांकि 20 अगस्त को मामले को लिस्टिड कर दिया गया.

क्या था मामला

सुप्रीम कोर्ट ने 16 मई 2022 को राज्य सरकार को आदेश दिया था कि कई उम्रकैद के समय पूर्व रिहाई के आवेदनों पर तीन महीने के अंदर अंतिम निर्णय लिया जाए. इसके बावजूद कई कैदियों की समय से पहले रिहाई की याचिकाओं पर अभी तक फैसला नहीं किया गया है. सितंबर 2022 में पूर्व रिहाई से जुड़ी याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि अगर कोई कैदी पूर्व रिहाई की एलिजबिलिटी पूरी करता है तो बिना एप्लिकेशन की भी उसकी रिहाई पर विचार किया जाए.

14 कैदियों को दी थी जमानत

साथ ही कोर्ट ने कहा था कि जिन कैदियों के आवेदन मिले हैं, उन पर तेजी से काम किया जाए. कोर्ट ने DLSA (District Legal Service Authority ) को निर्देश दिया था कि जेल अथॉरिटी के साथ मिलकर सभी एलिजिबल कैदियों की रिपोर्ट तैयार करें. 25 मार्च 2022 को कोर्ट ने सभी 12 याचिकाकर्ता कैदियों को जमानत देते हुए अपने आदेश में कहा था कि ये सभी करीब 14 साल की सजा काट चुके हैं और इनकी जमानत याचिकाएं वर्षो से हाई कोर्ट में लंबित पड़ी हैं. ऐसे में सभी याचिकाकर्ताओं को जमानत दी जाती है. कोर्ट ने कहा था कि ट्रायल कोर्ट ने कैदियों पर जो शर्तें लगाई थी उनको पूरा करने पर याचिकाकर्ता कैदियों को जमानत पर रिहा किया जाए.

Show More

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button